श्री राधारमणो विजयते
कथा कुछ नहीं बदलती है। न परिस्थिति बदलती है, न कुछ। कथा आपके स्वभाव को बदल सकती है। और
जब स्वभाव का परिवर्तन होता है तो स्वतः रूप से विचार का परिवर्तन होता है, विचार का परिवर्तन होता है तो आपके कर्म का परिवर्तन होता है, कर्म का परिवर्तन होता है तो आपके प्रारब्ध का परिवर्तन होता है, प्रारब्ध का परिवर्तन भाग्य बदलता है, भाग्य बदलता है तो जीवन बदलता है और जीवन बदल जाए तो मरण बदल जाता है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
The Katha does not alter anything. Neither the circumstances nor anything else. It changes your nature and,
When the nature changes, automatically the thinking changes, when the thought process changes then the actions also change, when the actions change then it changes your Prarabdha, this changes the fate, when fate is changed then the life goes through a change and once this happens, it goes on to turn your death into a celebration!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
कथा किमपि न परिवर्तयति। न स्थितिः परिवर्तते न किमपि। कथा भवतः स्वभावं परिवर्तयितुं शक्नोति। यदा प्रकृतौ परिवर्तनं भवति तदा स्वयमेव विचारेषु परिवर्तनं भवति, यदि विचारेषु परिवर्तनं भवति तर्हि भवतः कर्मं परिवर्तनं भवति, यदि कर्मं परिवर्तनं भवति तर्हि भवतः प्रारब्धस्य परिवर्तनं भवति, प्रारब्धस्य भाग्यं परिवर्तयति, भाग्यं
परिवर्तयति तर्हि जीवनं परिवर्तयति, जीवनं परिवर्तयति तर्हि मरणश्च स्वयमेव परिवर्तयति।
।।परमाराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा: ।।।