श्री राधारमणो विजयते
गुरु द्वारा शिष्य को सबसे पहले तिलक की प्राप्ति होती है फिर माला, मंत्र और ईस्ट की प्राप्ति होती है। फिर शिष्य को ग्रंथ की प्राप्ति होती है, भगवान से संबंध की प्राप्ति होती है। सातवीं गुरु से शिष्य को स्वरूप की प्राप्ति होती है। और आठवीं शिष्य को उपासना की प्राप्ति होती है।
नवीं गुरु द्वारा शिष्य को कीर्तन की प्राप्ति होती है। मंत्र तो मिला, जप भी मिला पर कीर्तन भी मिलता है। उसकी अदा का एक अलग कीर्तन है।
ऐसा कौन सा कीर्तन है जो अपने यहाँ शुरू से चला आ रहा है; हमने भी उसकी सेवा की, महाराजजी ने भी की, बड़े महाराजजी ने भी की, परदादाजी ने भी किया है। लिखा हुआ है रिकॉर्डिंग नहीं है।
वो कीर्तन हर जगह होता है वो कीर्तन कौन सा है?
राम राघव राम राघव राम राघव रक्षमाम्।
कृष्ण केशव कृष्ण केशव कृष्ण केशव पाहिमाम्।।
जैसे महाप्रभु जी का कीर्तन हरिबोल ध्वनि है। कोई हरिबोल कर दे तो पता चल जाता है ये महाप्रभु जी का है। जरा सा कोई कह दे हर हर महादेव तो तुरंत पता चल जाता है ये काशी महादेव से है। काशी का बच्चा-बच्चा बोलता है हर हर महादेव। वृन्दावन से डोल कर आओ तो राधे राधे।।
ये कीर्तन का स्वरूप है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
The disciple first gets the Tilak from his Sadguru, followed by the Mala, Mantra and then the Ishtha. Further, he gets the Granth and the relationship with the Divine is established. Seventh, the disciple gets the Swaroop and eighth, he is blessed with Upasana.
Ninth, the Guru grants the Kirtana. One gets the Mantra, also the Japa and this is followed by Kirtana. His Kirtana is entirely of a different nature!
What is the history of the Kirtana, that has been continuing from the very beginning; we too have done the Kirtana Sewa, even Maharajji did it, my great grandfather also did it. It has been written down but there is no recording!
The Kirtana that is done every where, which one is it?
Rama Raghav Rama Raghav Rama Raghav rakshamaam|
Krishna Keshav Krishna Keshav Krishna Keshav paahimaam||
Shree Mahaprabhuji’s Kirtana was Hari Bol! If any body chants Hari Bol, we immediately come to know that it is Shree Mahaprabhuji’s! When ever anyone chants Hara Hara Mahadev, we instantly connect with Kashi! Even the little children of Kashi chant Hara Hara Mahadev! If you are coming from Vrindavan then you will say Radhey Radhey!
This is the Swaroop of Kirtana!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
प्रथमं शिष्यः गुरुतः तिलकं प्राप्नोति ततः माला, मन्त्रं, पूर्वं च प्राप्नोति। ततः शिष्यः शास्त्रमाप्नोति ईश्वरसम्बन्धं च प्राप्नोति। शिष्यः सप्तमगुरुतः रूपं प्राप्नोति। अष्टमः च शिष्यः पूजां प्राप्नोति।
शिष्यः नवमगुरुतः कीर्तनं प्राप्नोति। मन्त्रः लभ्यते, जपः अपि लभ्यते, किन्तु कीर्तनम् अपि उपलभ्यते। तस्य शैल्यां भिन्नं कीर्तनं वर्तते।
कीदृशं कीर्तनं तत्र आदौ प्रचलति । वयं तस्य सेवामपि कृतवन्तः, महाराजजी अपि कृतवान्, अग्रजः महाराजजी अपि कृतवान्, प्रपितामहः अपि कृतवान्। लिखितम् अस्ति, न तु अभिलेखनम्।
सः कीर्तनः सर्वत्र भवति। तत् कः कीर्तनः ?
राम राघव राम राघव राम राघव रक्षामाम्।
कृष्ण केशव कृष्ण केशव कृष्ण केशव पाहिमाम्।
यथा महाप्रभु जी कीर्तन हरिबोल शब्द। यदि कश्चित् हरि इति वदति तर्हि महाप्रभु जीतः इति ज्ञास्यति। केवलं ‘हर हर महादेव’ इति वदन्तु तत्क्षणमेव ज्ञास्यन्ति यत् एतत् काशीमहादेवस्य अस्ति। हर हर महादेव इति हर हर महादेव इति कथयति काशीयाः प्रत्येकः बालकः। राधे राधे, कृपया वृन्दावनतः आगच्छन्तु।
इति कीर्तनस्य रूपम् ।
॥परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज ॥