श्री राधारमणो विजयते
जीवन में विपरीतताएं भी जो है वो थोड़ी देर के लिए है। आप विपरीतताओं को क्यों ज़िन्दगी भर लादे हुए फिरते हो ?
अगर काँटे आ गए हैं तो ये सूचना है कि गुलाब हाथ लगने वाला है अगर अभी तक काँटे ही नहीं आए थे इसका मतलव सफर बहुत लम्बा था।
सच बात कहे तो अभी तक हमने सुख का भी अनुभव किया नहीं है। हमारे हिसाब से सुख क्या है दुःख का नहीं होना ।। पर ये दोनों बहुत भिन्न स्थितियाँ हैं।
दुःख का न होना सुख अगर ये विवेचना है तो वो व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता, सुख का न होना दुःख अगर जीवन में ये विवेचना है तो सदैव दुःखी रहोगे। शीतोष्णसुखदुःखेसु तथा मानऽपमानयो।।
किसी भी वस्तु का सृजन करो, संचालन करो और समय आने पर विसर्जन कर दो जिस समय तक भारत विसरजन के विज्ञान को नहीं समझेगा जीवन में आनन्द कि प्राप्ति नहीं कर सकता।।
शंकर विसर्जन भी ताण्डव नृत्य करते हुए करते हैं। परित्याग शोक का विषय नहीं है उत्सव का विषय है। स्वास का ग्रहण करना जितनी अच्छी से होना चाहिए स्वास का परित्याग भी उतनी ही अच्छी से होना चाहिए। भोजन व्यसन आसन व्यवस्था आप उससे आगे बढ़ें। विपरीतताएं आती हैं पर कुछ देर के लिए और धैर्य की वहीं आवश्यकता होती है।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
The difficulties or the problems in life are short lived. Why do you carry their burden all though your life?
If you have seen thorns then be rest assured that the Rose isn’t far away. If you have not seen the thorns then it indicates that the journey is still very long.
To tell you the truth, we are yet to experience true happiness. We feel that the absence of sorrow is happiness. But it is not so!
If the absence of sorrow is just a matter of your discussion then you can never be happy. If your understanding is that if there is no hardship then you will be happy, in that case you will never be happy.
‘Sheettoshna sukha dukkheshu tatha maanapamaanayo’||
Create something, then operate it and when the appropriate time comes, learn to dissolve or dismantle it. Till such time Bharat will not learn the art or science of dissolution, it will never be able to experience Anand in life!
Lord Shiva, does the dissolution also through the Tandava Nritya! To leave or abandon cannot be some thing to cry or feel sorry, instead it should become a joyous celebration. Inhaling should be done properly followed by the proper exhaling. Food, your habits or addictions, Asana, etc, go beyond all this. Obstacles come but for a very short time and it demands that you overcome them with patience and fortitude!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||