श्री राधारमणो विजयते
तुम किसी व्यक्ति को कोई वस्तु दो। एक वस्त्र दिया और तुम कुछ दिन बाद गये और तुमने देखा कि उस वस्त्र को वो व्यक्ति अपने घर को मार्जन करने में प्रयोग कर रहा है तुम्हें कितना कष्ट होगा घर की सफाई में प्रयोग कर लिया..??
वहीं दूसरी तरफ तुम किसी को वस्त्र दो किसी सज्जन को वस्त्र दो और कुछ दिन बाद मिले तो तुमने देखा उसने उस वस्त्र का कुर्ता बना लिया तुम्हारे हृदय को आनन्द होगा संतोष होगा इसने मेरे वस्त्र का उचित उपयोग किया।।
एक और तीसरी बात तुमने किसी को वस्त्र दिया और अगर उसने उस वस्त्र से अपने सेवायत श्रीठाकुरजी कि पोशाक बना ली तो तुम मस्ती में डूब जाओगे वाह इसने मेरा वस्त्र भी भजन बना लिया।। ऐसे ही
जब शब्द स्वार्थ के लिए प्रयोग होता है तब भगवान भी यही सोचते हैं कि इसने मेरे शब्द के सामर्थ्य का पायदान बना लिया। शब्द परमात्मा देता है। शब्द ब्रह्म है। उससे ऊँची बात है जब ये शब्द ब्रह्म परब्रह्म तक ले जाय।
शब्दब्रह्म जब परब्रह्म के पास पहुँचता है तब शास्त्र का उदय होता है पर जब वो शब्दब्रह्म परब्रह्म से भी रसब्रह्म तक पहुँचता है तब गोपीगीत का उदय होता है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
If you give something to someone, say you have give a piece of cloth and if you happen to go his place after a few days, you see that it is being used as a duster or a wipe then you will feel hurt that I gave it with such love and affection but it is being used to wipe the floor….!!
On the other hand, you have presented a piece of fabric to someone and after a while when you happen to meet him, you see him wearing a kurta made out of the same fabric, seeing this you feel so delighted that the person has made a proper use of your gift.
Going a step further, you present a nice piece of cloth to the ‘Sevayat’ then he goes ahead and makes the ‘Poshak’for Shree Thakurji. Seeing this, you will be filled with bliss that he has made the piece of fabric into Bhajan! In the same way;
When the words are used for selfish motives the Divine thinks that you have misused the power of my word as a footmat. The words are given by the Almighty! ‘Shabd Brahma’. The next step is when the word leads you to ‘Parabrahma’ or the Almighty.
When the ‘Shabd Brahma’ reaches the ‘Parabramha’, it gives birth to the scriptures or in other words ‘Rasabrahma’, which translates into the Gopigeet!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||