श्री राधारमणो विजयते
श्रीठाकुरजी को सब मालूम है जो आपके सबसे ज्यादा हित में है। सच कह रहा हूँ भक्त को ये विश्वास रखना चाहिए कि मेरे साथ वही हो रहा है जो मेरे हित में है। हर एक को देखने की अलग-अलग दृष्टि है।
विश्वास रखना चाहिए। पता भी न चले। वहाँ गए थे पता भी नहीं चला कब हमारा फोन चोरी हो गया, वहाँ गए थे पता भी नहीं चला कब हमारा बटुआ चोरी हो गया क्या हमारे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ कि वृन्दावन गए पता भी नहीं चला कब बिहारी हृदय चुरा कर चला गया।
और कोई कारण न था पता ही नहीं चला कब आँखों से आँखे मिली हम लौट आए मन छोड़ आए। इसी को समर्थ प्रेम कहते हैं। बिना कारण। अहेतु। बिना किसी हेतु। अहैतुक्या प्रतिहता।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Shree Thakurji knows very well what is in our best interest. In fact the Bhakta should be of this firm conviction that whatever is happening in his life is in his best interest. Everyone has a different point of view in assessing any situation.
We should have complete trust! No one should come to know anything! People say that we had gone there, how and when the phone got stolen, we didn’t realize! Where we were pickpocketed, we did not know! If this has happened then it is quite possible that you have gone to Vrindavan and Shree Bihariji has stolen your heart!
We didn’t realize when He looked into our eyes and we lost our hearts! This is what is called ‘Samartha’ or well developed Prema! No reasoning holds good! ‘Ahetu’ or without any reason! ‘Ahaitukkya pratihata’||
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||