श्री राधारमणो विजयते
जब व्रज में वर्षा होती है तो श्रीकृष्ण गोवर्धन को धारण करते हैं। अगर इसको अलग दृष्टि से देखो तो वेद कहता है गंधत् द्वाराम् दुरा दर्शाम् नित्य पुष्टाम् करीषणीम्।। वेद में सूखे गोबर को करीष कहा जाता है। जिस भूमि पर बहुतायत मात्रा में सूखा गोबर व्याप्त रहता है उससे पर्जन्यों का संचालन होता है मेघ नहीं परजन्य।
जिस पर्वत पर बहुतायत मात्रा में गोबर ही गोबर है क्योंकि गैया विचरती हैं भगवान उस गोबर्धन कि शरण लेते हैं। अगर सम्पूर्ण खेत और पृथ्वी पर शुद्ध देशी गाय के गोबर को बिखेर दिया जाय तो उससे परजन्य संचालित होते हैं। परजन्य कहते हैं मौसम के देवता को। वर्षा कब आनी है कितनी आनी है।। सूखे गोबर की गँध परजन्यों को संचालित करता है वेद कहता है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
When it rains incessantly in Braja, Shree Krishna holds aloft the Govardhan hill. From a different point of view the Vedas declare ‘Gandhatt dwaaram dura darsham nitya pushttam kareeshannim||’ The Vedas call dried cowdung cakes ‘Kareesh’. The land where the cowdung is available in abundance, it supports ‘Parjannya’ or the Rain God!
The hill on which the cows graze has cowdung in abundance and the Lord holds this ‘Gobardhan’ and takes shelter underneath it! If you spread the entire field with cowdung of the ‘Desi-Cow’, it supports and activates ‘Parjannya’. ‘Parjannya’ is the weather God! When it should rain and how much? The odour of the dried cowdung activates ‘Parjannya’ according to the Vedas!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
यदा व्रजे वर्षति तदा श्रीकृष्णः गोवर्धनं धारयति। यदि वयं भिन्नदृष्टिकोणेन पश्यामः तर्हि वेदः गन्धद्वारम् दुरा दरचम् नित्यं पुष्टिं करिशनिम् इति । वेदे शुष्कं गोमयम् करिश उच्यते । यत्र शुष्कगोमयस्य प्रचुरता प्रसृता भूमिः मेघानां गतिं जनयति, न तु मेघानां ।
यस्मिन् पर्वते गोमयस्य प्रचुरता वर्तते तस्मिन् पर्वते ईश्वरः शरणं करोति यतोहि तस्मिन् गोमयस्य मध्ये गैया परिभ्रमति। यदि शुद्धं गोमयम् सम्पूर्णे क्षेत्रे पृथिव्यां च प्रसारितं भवति तर्हि विदेशीयसस्यानां नियन्त्रणे साहाय्यं करिष्यति । पर्जन्यः मौसमदेवः इति उच्यते। वर्षा कदा आगमिष्यति ? कियत् वर्षा भविष्यति ? शुष्कगोमयस्य गन्धः परकीयान् भूतान् निष्कासयति इति वेदाः ।
..परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।