श्री राधारमणो विजयते
दूध कि बात छोड़ो कृष्ण को विष देने वाली पूतना भी माता कि गति प्राप्त कर दिया। इसका एक और कारण है कोई भी क्रिया पूर्ण परमात्मा से जब युक्त हो जाती है तो फिर उस क्रिया की महत्ता नहीं रहती, उसके परिणाम में तो परम पद ही अवस्थित होता है।
कोई फूल हो वो सामान्य बगीचे को सुसज्जित करता है पर वही फूल जब रामलला से स्पर्श होता है तो वैष्णव कई बार आद्योपान्त जीवन भर उसे अपने श्रीमन्दिर में सुरक्षित रखते हैं क्योंकि इसे राम ने स्पर्श कर लिया है।
अगर लक्ष्य परमात्मा है तो परिणाम में निश्चित रूप से परम पद ही प्राप्त होगा। फिर इतने उद्यम कि आवश्यकता क्या है केवल परिणाम को प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि श्रेष्ठ प्रणाम् करने का भी स्वरूप है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
What to talk about milk, ‘Pootana’ who gave the Lord poison, was revered like the Mother. The basic reason behind it is that when any action is done with the Divine being the main object then the act becomes secondary because the result is the ‘Param Pada’!
A flower can add beauty to the garden where it grows but when it is offered to Shree Ramlalla, then for the Vaishnavas it becomes sacred and priceless. It is kept with care and devotion in their Shree Mandir just because it is the Prasad touched by Shree Rama.
If the aim or objective is the Divine then the result is the ‘Param Pada’ only! Then why labour so much, it is just not enough to get the result but it is very important to be able to offer proper Pranam!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||