श्री राधारमणो विजयते
ये श्रीगुरुदेव की कृपा है कि किसी संत को देखकर हमारे हृदय में श्रद्धा उत्पन्न होती है। और अगर श्रद्धा उत्पन्न हो रही है तो ये प्रमाण है कि बीज तो लग चुका है। अब प्रतीक्षा करनी है।
अगर वो बीज अच्छी तरह पोषित होता रहे तो किसी न किसी दिन साधुसंगोत्भजनक्रिया करते-करते विशुद्ध प्रेमलक्षणाभक्ति प्रकट हो जाएगी।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
By the divine grace of Sadguru , we are filled with ‘Shraddha’ or faith when we see a Saint. If there is faith, it goes to prove that the seed has been sown. A patient wait is needed!
If the seed is sown properly and nourished, then in time with ‘Sadhusangottbhajankriya’, gradually ‘Vishuddha Premlakshana Bhakti’ arises!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
श्री गुरुदेवस्य कृपा अस्ति यत् साधुं दृष्ट्वा अस्माकं हृदयेषु श्रद्धा सृजति। यदि च श्रद्धा जन्यते तर्हि बीजस्य पूर्वमेव रोपितस्य प्रमाणम्। अधुना अस्माभिः प्रतीक्षितव्यम्।
यदि तत् बीजं सम्यक् पोषितं भवति तर्हि कदाचित् साधुसंगोतभजनक्रियां कुर्वन् शुद्धप्रेमभक्तिः प्रकटिता भविष्यति।
..परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।।