श्री राधारमणो विजयते
ऐसा कब हो ?? हमारा दिमाग अभी चल रहा है मन्दिरों में कहाँ देखें ? क्या देखे ? क्या सजावट है ? क्या परदा है ? क्या बंगला है ? बड़े-बड़े लोग कहते हैं दर्शन अदभुत था। बंगला बहुत बढ़िया था। बिहारी सज रहा था…
अरे ! काहे को भूल करते हो बिहारी बंगले से नहीं सजा है बल्कि बंगला बिहारी से सज गया है।
अभी तक ऐसा हुआ क्यों नहीं कि बिहारी के अलावा कोई दूसरा मन्दिर में दिखा ही नहीं।
गौराङ्ग बलिते हबे पुलक शरीर। हरि हरि बलिते नयन बहे नीर।।
कब ऐसी स्थिति आए गोराङ्ग बोलते ही आँखों से अश्रु धारा निर्झरित हो जाय
कृष्ण बोलते ही रोम रोम रोमाञ्चित हो जाये।
राधाकृष्ण प्राण मोरा जुगल किशोर
कब ऐसी स्थिति जीवन में प्राप्त होवैगी।।
आशा रखो तब प्रतीक्षा होगी। अगर तुम्हारी प्रतीक्षा तेज रही तो कृष्ण स्वयं भिक्षा लेने आ जावेंगे। खुद कृष्ण आ जाएंगे।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
When will this happen?? Our mind is still active, what to see in the temples? Where to see? Decoration? A beautiful curtain? An amazing Bangla? Many elderly people say that the darshsan was wonderful! The Bangla is very beautiful. Bihariji was looking so resplendent….
Arrey! Please don’t make this mistake, Shree Bihariji was not beautiful because of the Bangla, instead it is vice-versa, the Bangla was so beautiful because Shree Bihariji graced it with His presence!
Has it ever happened that you couldn’t see anything else except Shree Bihariji in the temple?
‘Gauranggey bolittey hobey pulak sareera | Hari Hari bolittey nayan bahey neer||’
When will I attain this state that the moment I utter Gauranga, tears flow down my cheeks and on uttering Krishna, each and every pore of my body is thrilled!
‘Radhakrishna praana mora jugal kishore’-
When will I attain this state?
Keep hope, be faithful, if your wait is intense and you are patient then Shree Krishna will come knocking at your doorstep asking for Bhiksha! He will surely come!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
कदा एतत् भविष्यति?? अस्माकं मनः अद्यापि चिन्तयति यत् मन्दिरेषु कुत्र पश्यितव्यम् इति? किं द्रष्टव्यम् ? अलङ्कारः किम् ? पर्दा इति किम् ? कः बंगलः अस्ति ? बृहत् जनाः वदन्ति यत् दर्शनं अद्भुतम् आसीत्। बंगलः अतीव सुन्दरः आसीत् । बिहारी सज्जता भवति स्म…
ओहो ! किमर्थं त्वं त्रुटिं करोषि ? बिहारीबंगलेन अलङ्कृतं न किन्तु बंगलं बिहारीना अलङ्कृतम् अस्ति।
किमर्थम् अद्यावधि न अभवत् यत् बिहारी-नगरात् विहाय अन्यः कोऽपि मन्दिरे न दृष्टः?
गौराङ्ग बलिते हबे पुलक शरीर। हरि हरि बलिते नयन बहे नीर।।
कब ऐसी स्थिति आए गोराङ्ग बोलते ही आँखों से अश्रु धारा निर्झरित हो जाय
कृष्ण बोलते ही रोम रोम रोमाञ्चित हो जाये।
राधाकृष्ण प्राण मोरा जुगल किशोर
जीवने एतादृशी स्थितिः कदा वयं प्राप्नुमः ?
आशा भवतु तदा प्रतीक्षा भविष्यति। यदि भवतः प्रतीक्षा तीव्रा भवति तर्हि कृष्ण एव भिक्षां ग्रहीतुं आगमिष्यति। कृष्ण एव आगमिष्यति।
..परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा: ।।