श्री राधारमणो विजयते
प्रयास अवसर देता है, प्रयास श्रीकृष्ण को नहीं देता है। प्रयास आपको जीवन में अवसर देता है कि कब तुम उनके सामने खड़े हो जाओ, कि कब वह तुम्हारे सामने खड़े हो जाए और फिर तब अवसर मिल गया; फिर चढ़ना और चढ़ाना वह तुमको खुद देखकर किशोरी की कृपा से करना पड़ेगा।
प्रयास अवसर देता है, मिलन केवल कृपा से प्राप्त होती है। परीक्षित ने प्रयास किया पर काम नहीं बना। तब कृपा हुई जो महात्माओं की मंडली आ गई और गुरुदेव शुकदेव ने सुंदर भागवत की कथा का अनुमोदन किया।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
‘Prayaas’ or effort gives you an opportunity, it does not hand over Shree Krishna to you straight away. Your effort will present you with an opportunity to stand in front of Him or He comes face to face with you, having got this opportunity whether you climb up or you are pushed up will depend upon Shree Kishoriju’s Divine grace!
Your effort will give you a chance but the meeting will happen only with grace. Parikshit tried but he didn’t succeed. When the grace flowed then the group of Mahatmas came and Gurudev Shukdevji consented to narrate the Katha.
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
प्रयासः अवसरं ददाति, प्रयासः श्री कृष्णं न ददाति। प्रयासः जीवने एकं अवसरं ददाति यत् यदा भवन्तः तेषां पुरतः तिष्ठन्ति, यदा ते भवतः पुरतः तिष्ठन्ति तदा अवसरः आगतः; तदा आरोहणं नैवेद्यं च त्वां स्वयमेव दृष्ट्वा किशोरीप्रसादेन च कर्तव्यं भविष्यति।
प्रयत्नः अवसरं ददाति, संयोगः प्रसादेन एव सिद्ध्यति। परीक्षितः प्रयासं कृतवान् परन्तु तत् कार्यं न कृतवान्। ततः आशीर्वादः आसीत् यत् महात्मानां समूहः आगत्य गुरुदेव शुकदेवः सुन्दरभागवतस्य कथां अनुमोदितवान्।
॥परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।।