श्री राधारमणो विजयते
गुरु को प्रभाव देखकर नहीं किया जाता, गुरु प्रभाव देखकर नहीं किया जाता, गुरु स्वभाव देखकर किया जाता है। प्रभाव तो आज किसी का है कल नहीं है। अब अगर दत्तात्रेय वेश्या से प्रभावित होते तो फिर उसका आचरण करते पर उसका जो ये स्वभाव था कि
आशा ही परमम् दुःखम् नैराश्यम् परमम् सुखम्॥ उसको उन्होनें गुरु रूप में स्वीकार कर लिया।
इसलिए वर्तमान समय में आपको जिस परिस्थिति के अनुसार जैसे भी आचार्य परम्परा या वैष्णव जिसको देखकर विशेष अनुभव हुआ है उसका चरणाश्रय लेकर तुम्हारी निष्ठा अगर परिपक्व है तो उसके सामान्य होते हुए भी श्रीगोविन्द की अत्यंत कृपा तुमपर परिवर्षित हो जाएगी।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Guru can never be done by seeing his cinch or influence, he can only be done by seeing the nature. The influence or dominance is short lived, it is there today, not tomorrow. If Guru Dattatreya would be influenced by the nautch girl, He would have followed her but He learnt from the behavior;
‘Asha hee paramam dukkham, nairaashyam paramam sukham||’
He accepted this quality as the Guru.
That’s why in the present times, depending upon the situation and the Acharya Parampara, the Vaishnavas follow the footsteps of the self realized soul seeking the refuge of the Lotus Feet, if the Nishtha or allegiance is firm then even if the individual is a simple ordinary person, Shree Govinda’s unconditional grace will be showered upon you!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
गुरुः प्रभावं दृष्ट्वा न नियुक्तः भवति, गुरुः प्रभावं दृष्ट्वा न नियुक्तः भवति, गुरुः स्वभावं दृष्ट्वा नियुक्तः भवति। अद्य कस्यचित् प्रभावः श्वः नास्ति। इदानीं यदि दत्तात्रेयः वेश्या प्रभावितः आसीत् तर्हि सः तया सह वर्तयिष्यति स्म किन्तु तस्य स्वभावः एव आसीत्
आशा परमं दुःखं निराशा परमं सुखम्। ते तं स्वगुरुत्वेन स्वीकृतवन्तः।
अतः वर्तमानकाले यस्यापि परिस्थितौ भवतः तदनुसारेण यदि भवतः विशेषानुभवः प्राप्तः आचार्यपरम्परस्य वा वैष्णवस्य वा चरणयोः आश्रयं कृत्वा भवतः भक्तिः प्रौढा भवति तर्हि साधारणः अपि अपारः आशीर्वादः श्री गोविन्दस्य भवतः उपरि वर्षा भविष्यति।
परमाराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा: