पैसा देकर भगवान की मूर्ति तो खरीद कर लाई जा सकती है पर कभी-कभी तुम भजन करने बैठे हो और अनायास ही किसी भगवत स्वरूप की अनुभूति हो जाए तो ऐसा लगता है भगवान चलकर हमारे पास आ गए हैं। उसकी बाद दूसरी है। बिन कहे सेवा मिल जाए तो चूकना नहीं चाहिए। वह जीवन में बड़ी फलीभूत होती है।
मैं निवेदन करूँ- हमारे गुरु महाराज के द्वारा प्राप्त हुआ जो भजन है और हमारे गुरु महाराज के द्वारा जो प्राप्त हुआ कीर्तन है यह दो चीज असली आपको मिली है। आप धरती के जिस देवालय में जाओ, अरे! कभी ऐसी परिस्थिति आ जाए कि मंदिर नहीं, गिरजाघर भी जाना पड़ जाए तो वहाँ भी जा कर यह जो काम अवश्य करिए
बैठकर गुरुदेव के द्वारा प्राप्त हुए मंत्र का जप कर लीजिएगा और 2 मिनट बैठ कर कुछ ना मिले तो ताली बजाकर
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।संकीर्तन कर लोगे, राधारमणलाल की जय! कर लोगे
मैं सच कह रहा हूंँ लाखों रुपए दे करके भी ठाकुरजी की वह अनुभूति, वह प्रसादी, वह वस्तु न मिले जो एक बार राधारमणलाल की जय जयकार करने से प्राप्त हो जाए।
हम अपने अनुभव की बात कहें धरती के किसी भी मंदिर में राधारमणलाल जी का नाम लेकर हमारा काम बन जाता है और देश के किसी भी संत के पास अपने गुरुदेव का नाम लेकर हमारा काम बन जाता है।
गुरु और गोविंद के नाम से क्या नहीं हो सकता? अपने गुरु मंत्र और हरिनाम संकीर्तन से क्या नहीं हो सकता? आप जहाँ भी दर्शन करने जाओ कोई कार्य करो ना करो यह दो कार्य बढ़िया से करिए।
मंदिर दर्शन करने जाने से पहले मैं साँची कहूँ- गुरुमंत्र का इमानदारी से जाप करके जाना, कोई बिना व्यवस्था के आपको वीआईपी दर्शन होगा। यह अनुभव की बात है। करके देख लो।और वहाँ श्रीहरिनाम संकीर्तन का सुख लो।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
If the Lord blesses you with wealth, then you can go a buy a Murti from the sculptor but when you sit for your Bhajan and just out of the blue you have a Divine experience, then it means that the Lord has visited you! This is truly a Divine experience! If you get the Sewa without asking then please don’t miss the opportunity. It will blossom your life in a big way!
Allow me to say that the Bhajan which has been obtained from my Guru Maharaj and the Kirtan obtained through his divine grace, these two original things you have also shared. You go to any temple in the world, ‘Arrey! If you even happen to go to a church instead of the temple then please do this positively –
Sit down quietly and do the Japa of your Guru Mantra and for two minutes if you don’t get anything to play then clapping your hands sing;
Harey Krishna Harey Krishna Krishna Krishna Harey Harey|
Harey Rama Harey Rama Rama Rama Harey Harey||
Do the ‘Sankirtan’ and say, ‘Radha Raman Lal ki Jai’!
If you do this much, to tell you the truth, even if you spend lakhs of rupees, you will not get the Divine experience or Prasad or anything else which you will get by doing the ‘Jai Jaikar’ of Shree Radha Raman Lal!
I am saying this with my personal experience that in any temple anywhere in the world just with the name of Shree Radha Raman ‘Lalju’, I get entry and while visiting any Saint with the mere mention of my Gurudev, I get an audience!
What is not achievable with the Divine name of Guru and Govind? With your Guru Mantra and with the Hari Naam ‘Sankirtan’ nothing is beyond your reach! Wherever you go for Darshan, if you do anything else or not, at least do these two things properly!
Before going to any temple, I am saying this with utmost humility that do the Japa of your Guru Mantra and go, you will be treated like a VVIP and will have a great Darshan. This is my experience! Try it! Once you are in the temple then immerse yourself in the Hari Naam ‘Sankirtan’!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
देवस्य मूर्तिः धनं दत्त्वा क्रेतुं शक्यते, परन्तु कदाचित् भवान् भजनार्थं उपविष्टः अस्ति तथा च भवान् अकारणं किमपि दिव्यरूपं अनुभवति, तदा इदं प्रतीयते यत् ईश्वरः अस्माकं समीपं चरन् आगतः। तदनन्तरं द्वितीयः । यदि भवन्तः अकथितरूपेण सेवां प्राप्नुवन्ति तर्हि भवन्तः तां न त्यक्तव्याः। सा जीवने अतीव फलदायी अस्ति।
अहं अनुरोधं करोमि – भवद्भिः वास्तविकं द्वे वस्तु प्राप्तौ यत् भजनं यत् अस्माकं गुरुमहाराजस्य माध्यमेन प्राप्यते तथा च कीर्तनं यत् अस्माकं गुरुमहाराजस्य माध्यमेन प्राप्यते। पृथिव्यां यत्किमपि मन्दिरं गच्छसि, हे! कदाचित् एतादृशी स्थितिः उत्पद्यते यत् यदि मन्दिरस्य स्थाने चर्चं गन्तुं भवति तर्हि तत्र गत्वा एतत् कार्यं कर्तव्यम्।
उपविश्य गुरुदेवस्य प्राप्तं मन्त्रं जपन्तु तथा यदि २ मिनिट् उपविष्टस्य किमपि न प्राप्यते तर्हि ताली वादयन्तु
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे.. संकीर्तन करेंगे, राधारमनलाल के जय हो! करिष्यति
अहं सत्यं वदामि, लक्ष-रूप्यकाणि दत्त्वा अपि, तां ठाकुरजी-भावः, तां प्रसादी, यत् वस्तु एकवारं राधारमणलालस्य जपेन प्राप्तुं शक्यते।
यदि वयं स्वस्य अनुभवस्य विषये वदामः तर्हि राधारमणलालजी इत्यस्य नाम गृहीत्वा पृथिव्याः कस्मिन् अपि मन्दिरे अस्माकं कार्यं सम्पन्नं भवति तथा च देशस्य कस्मिन् अपि संतस्य अस्माकं गुरुदेवस्य नाम गृहीत्वा अस्माकं कार्यं सम्पन्नं भवति।
गुरुगोविन्दस्य नाम्ना किं कर्तुं न शक्यते ? तव गुरुमन्त्रेण हरिनाम संकीर्तनेन च किं न भवति ? यत्र यत्र भ्रमणं गच्छसि तत्र किमपि कार्यं मा कुरु, एतौ कार्यौ सम्यक् कुरु।
मन्दिरं भ्रमणं गमनात् पूर्वं गुरुमन्त्रस्य निश्छलतया जपं कृत्वा सञ्चि- गो इति वदामि, विना किमपि व्यवस्थां भवन्तः VIP दर्शनं प्राप्नुयुः। अनुभवस्य विषयः अस्ति। प्रयतस्व। श्री हरिनम संकीर्तनस्य च प्रीतिं तत्र गृहाण।
परमराध्य पूज्य श्री सद्गुरु भगवान जू ॥