राम कौन हैं? हर हाल में अपने रमने के लिए जो विविश कर दें, उसी का नाम राम है। इसलिए भारत की सु संस्कृति के हर एक्सम्लेट्री हर एक्प्रेशन में रामजी का शब्द जुड़ा है।
अगर आप बहुत दुख में रहेंगे तो कहेंगे- हे राम! महात्मा गाँधी जी के जीवन से जुड़ा अंतिम शब्द है हे राम!
अगर आप पीड़ा में हैं तो भी कहेंगे- हे राम! अगर आप को बहुत शरम आए तो भी आप कहोगे- हाय राम! अगर आपको कुछ अच्छा नहीं लगा कुछ अक्षुब्ध लगा तो आप कहोगे- राम राम राम राम। केवल आवाज को ऊपर नीचे करना पूरी भावना को व्यक्त कर देता है।
अगर आप किसी का स्वागत करना चाहते हैं तो राम राम जी! अभिवादन में भी राम छुपे होते हैं।
गांव का शब्द है- अगर आपको अपनी बात को प्रमाणित करना हो तो आप कहते हो- राम दुहाई! कबीर ने एक शब्द दिया। सत्य को प्रमाणित करना हो तो भी राम शब्द प्रयोग होता है।
अगर आप कुछ नहीं भी जानते हो और आपसे पूछा जाय ये कैसे होता है? तो आप कहोगे- राम जानें! अपनी अज्ञानता से भी बचना हो तो रामजी की शरण ली जाती है। अगर जीवन में किसी चीज की अनिश्चितता अंडरकांफिडेंश से बोलना चाहते हो तो आप कहोगे ये काम हमने राम भरोसे से किया है। राम भरोसे अपनी अनिश्चितता का प्रमाण देता है।
कोई चीज ऐसी हो जो अचूक हो, जिसको कोई नहीं काट सकता हो चाहे वो कार्य हो, व्यापार हो तो आप कहते हो- रामबाण है। ये रामबाण दवाई है। ये रामबाण उपाय है।
भारतीय ग्रामीण सहज हिन्दी भाषा में इन सब शब्दों का प्रयोग होता है।
हम जब सुशासन की परिकल्पना करते हैं तो शब्द का प्रयोग करते हैं रामराज्य। अरे किसी की मृत्यु की भी खबर लगनी हो तो रामनाम सत्य है। ये भी बोलते हैं- ऐसा बुरा काम किया कि उनका रामनाम सत्य हो गया। लोकोक्तियाँ हैं।
इस देश की हर एक अभिव्यक्ति राम के केन्द्र में होती है। इसलिए इस देश में राम का मंदिर नहीं बनता, भारत का मंदिर बनता है। जिस मन्दिर में राम विराजते हैं उसे केवल राम का मन्दिर मत समझिएगा, वो सम्पूर्ण भारत का मंदिर है। भारतीय संस्कृति का केन्द्र है, भारतीय भाषा का केन्द्र है, भारतीय कला, संस्कृति, विचार, व्यापार सब जाकर वहीं केन्द्रित होती है।
राम इस देश में इतने ओतप्रोत हैं।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
|| Shree Radharamanno Vijayatey ||
Who is Rama? The one who compels you to immerse and delight in His divinity is Rama. This is the reason you find the mention of Rama as an exclamation in the day-to-day life of our culture.
If you are immersed in sorrow, you say, ‘Hey Rama’! The last word uttered by Mahatma Gandhi was ‘Hey Rama’!
If you are in pain, you say, ‘Hey Rama’! If you are shy then you will exclaim, ‘Hai Rama’! Say, you don’t like something and feel distressed by it then you say, ‘Rama, Rama, Rama, Rama’! Just the pitch or the tenor of your voice reveals the feeling behind it.
If you are welcoming someone then you say, ‘Rama-Ramji’! Rama is a part of our greeting!
In the rural dialect if one wants to stress upon and prove his/her point then one says, ‘Rama duhaai’! Kabir has declared that if one wants to establish the truth then only Rama is enough!
If someone asks you a question and if you don’t know the answer then the phrase very commonly used is ‘Rama jaaney’! Even to camouflage your ignorance, you have to seek the refuge of Shree Rama. If there in some uncertainty or lack of confidence then one says, ‘Rama bharosey’! The phrase ‘Rama bharosey’ indicates your helplessness or lack of confidence.
If there is anything which is absolutely certain or no one can dispute or refute it whether it is any work or business dealings then people say, ‘Yeh toh Rama-Baann hai’! This medicine is ‘Rama-Baann’! This answer or the solution is ‘Rama-Baann’!
In the rural dialect, these phrases are very common.
When we talk about impartial and a just form of governance then it is referred as ‘Ram- Rajya’! At the time of death, people say, ‘Rama naam Satya hai’! If someone does something wrong and dies then people say, ‘Uska Rama naam Satya ho gaya’! These are the idioms used commonly by us.
Every expression of this land has Rama imbibed or embedded in it. That is why, in our country when any Rama temple is made, in a way it is ‘Bharat Mandir’. The temple where Lord Rama’s idol has been installed, don’t just consider it to be any sectorial ‘Rama-Mandir’, instead it is the temple of the entire country. It is the centre of our culture, our language, our art, thinking or philosophy and even the trade or business evolve from there.
Shree Rama is the soul of India or in other words He is inseparable from the conscience of our nation!
|| Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj ||
श्री पुण्डरीक जी सूत्र (०३-०७-२०२३)
कः रामः ? यः अस्मान् प्रत्येकस्मिन् परिस्थितौ सुखी करोति, तस्य नाम रामः। अत एव भारतस्य सद्संस्कृतेः प्रत्येकं अभिव्यक्तिं प्रति रामजी इत्यस्य वचनं आसक्तम् अस्ति।
यदि बहुशोकेन तिष्ठसि, तदा वदिष्यसि – हे राम! महात्मा गांधी जी के जीवन से सम्बद्ध अंतिम शब्द हे राम!
वेदना होते भी वह – हे राम ! अत्यन्त लज्जितोऽपि वदिष्यसि – हाय राम ! यदि भवतः किमपि न रोचते, किमपि विषये दुःखी भवति, तर्हि भवन्तः वदिष्यन्ति – राम राम राम राम। केवलं स्वरस्य उन्नयनं वा अवनयनं वा समग्रं भावं बोधयति।
अगर आप किसी स्वागत करना चाहते हैं तो राम राम जी! अभिवादने अपि रामः निगूढः अस्ति।
ग्रामस्य वचनम् अस्ति- यदि आप अपनी बात सिद्ध करना चाहते हैं तो आप कहते हैं- राम दुहाई! कबीरः एकं वचनं दत्तवान्। सत्यं सिद्धीयं चेदपि रामशब्दः प्रयुज्यते ।
किमपि न जानासि पृष्टोऽपि कथं एतत् भवति? अतः आप कहेंगे – जानी राम ! यदि त्वं स्वस्य अज्ञानात् उद्धारं प्राप्तुम् इच्छसि तर्हि रामजीस्य शरणं गृह्यते। यदि भवान् जीवने किमपि अनिश्चिततायाः विषये अविश्वासेन वक्तुम् इच्छति तर्हि भवान् वदिष्यति यत् अस्माभिः एतत् कार्यं रामस्य श्रद्धया एव कृतम्। रामः निष्ठया स्वस्य अनिश्चिततायाः प्रमाणं ददाति।
यदि किमपि अस्ति यत् अमोघं भवति, यत् कोऽपि छिन्दितुं न शक्नोति, कार्यं वा व्यापारः वा, तर्हि भवन्तः वदन्ति – तत् रामायणम्। एतत् रामबाणौषधम् अस्ति। एतत् रामबाणस्य समाधानम् अस्ति।
एते सर्वे शब्दाः भारतीयग्रामीणसहजहिन्दीभाषायां प्रयुक्ताः सन्ति।
यदा वयं सुशासनस्य कल्पनां कुर्मः तदा वयं रामराज्यशब्दस्य प्रयोगं कुर्मः। अरेय, कस्यचित् मृत्योः वार्ता अस्ति चेदपि तदा रामनाम सत्यम्। ते अपि वदन्ति – एतादृशं दुष्कृतं कृतवान् यत् तस्य रामनाम सत्यं जातम्। सुभाषितानि सन्ति।
अस्य देशस्य प्रत्येकं प्रकटीकरणं रामस्य केन्द्रे एव अस्ति। अत एव अस्मिन् देशे रामस्य मन्दिरस्य निर्माणं न भवति, भारतस्य मन्दिरस्य निर्माणं भवति। यस्मिन् मन्दिरं राम निवसति तत् केवलं रामस्य मन्दिरं न मन्यताम्, तत् समस्तभारतस्य मन्दिरम् अस्ति। भारतीयसंस्कृतेः केन्द्रम् अस्ति, भारतीयभाषायाः केन्द्रम् अस्ति, भारतीयकला, संस्कृतिः, विचारः, व्यापारः सर्वे तत्र गत्वा एकाग्रतां प्राप्नुवन्ति।
रामः अस्मिन् देशे एवम् अतिप्रवाहितः अस्ति।
-परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।