परमात्मा को अक्रूरता से ही आवाहित किया जा सकता है। कोई भी साधना क्रूर होकर नहीं हो सकती। सदा अक्रूर होकर हो सकती है। अगर किसी भी क्रिया में क्रूरता है तो श्रीकृष्ण नहीं आएंगे।
क्रूरता का अर्थ अहित है, पीड़ा नहीं है। क्या डॉक्टर क्रूर हो सकता है? वह मरीज को कितनी पीड़ा देता है। कभी घाव काट देगा, कभी इंजेक्शन लगाएगा। कई लोगों को डॉक्टर डकैत जैसे लगते हैं। कोई कहे बड़ा क्रूर आदमी है, वो क्रूर नहीं है। पीड़ा तो वो तुम्हें दे रहा है पर उसका उद्देश्य तुम्हारा हित है।
कई बार माला भी बड़ी क्रूर हो सकती है और चाकू भी बड़ा अक्रूर हो सकता है। क्रिया में माला सम्मान है पर उसी सम्मान का उद्देश्य तुम्हारा अहित है तो वह कभी भी अक्रूर नहीं हो सकता। बात की गंभीरता को समझिए।
एक डॉक्टर कई बार घाव काटता है, बड़ी पीड़ा होती है पर उसको क्रूर नहीं कहा जा सकता। क्योंकि उसका उद्देश्य तुम्हारा हित है। अहित का विचार क्रूरता है। यह बात बहुत अनुभव करने की समझने की है।
माँ बच्चे को एक झापड़ दे और कोई कहे कि माँ बड़ी क्रूर है? जबकि उसका उद्देश्य अपने बालक का हित है। यही उसका स्वरूप है।
अक्रूरता से भगवान का आवाहन हो सकता है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
The Almighty can only be invoked through gentleness. No Sadhana can be done by being cruel. One has to be gentle always! If there is any cruelty then Shree Krishna will not come.
The actual meaning of cruelty is causing harm to someone, it doesn’t mean pain! Can the doctor can ever be cruel? His treatment may at times be painful for the patient like when he applies the scalpel to remove an infected boil or when he injects you! Some people feel that the doctor is a dacoit! They say ‘How cruel he is’; but the fact is that he is not cruel. He might seem to be giving you some pain but his objective is to cure you!
Sometimes even the Mala can be cruel and the knife can be very gentle! In the true sense, offering the Mala means to honour someone but if it is a show to put you down then it can never be gentle. Try to understand the depth of what I am saying!
A doctor incises your infected boil a few times and it is very painful but it cannot be termed cruelty! Because, his objective is to cure you thereby doing your welfare! Even the thought of causing harm is cruelty! This fact needs to be understood and experienced!
For some reason if the mother slaps her child, this is in no way cruelty! Her objective is for the good of her child. This is the reality!
You can call upon the Almighty by being gentle and humble!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
क्रूरतायाः माध्यमेन एव देवस्य आह्वानं कर्तुं शक्यते। क्रूरत्वेन न साधना कर्तुं शक्यते। सर्वदा क्रूरः भवितुम् अर्हति। यदि कस्मिन् अपि कर्मणि क्रूरता अस्ति तर्हि श्रीकृष्णः न आगमिष्यति।
क्रूरता हानि इत्यर्थः, न तु दुःखम्। वैद्यः क्रूरः भवितुम् अर्हति वा ? कियत् दुःखं करोति सः रोगीम्। कदाचित् व्रणं छिनत्ति, कदाचित् इन्जेक्शनं करिष्यति। बहवः जनाः डाकोइट् इत्यादीन् वैद्यान् प्राप्नुवन्ति । केचिद् वदन्ति स्यात् यत् सः अतीव क्रूरः पुरुषः अस्ति, सः न क्रूरः अस्ति। सः भवतः दुःखं जनयति परन्तु तस्य प्रेरणा भवतः कल्याणम् अस्ति।
कदाचित् माला अतीव क्रूरः भवितुम् अर्हति, छूरी अपि अतीव क्रूरः भवितुम् अर्हति । कर्मणि बहु आदरः भवति, परन्तु यदि तस्यैव आदरस्य प्रयोजनं भवतः हानिः भवति तर्हि तत् कदापि क्रूरं न भवितुम् अर्हति । प्रकरणस्य गम्भीरताम् अवगच्छन्तु।
वैद्यः व्रणं बहुवारं छिनत्ति, बहु दुःखं करोति किन्तु क्रूरः इति वक्तुं न शक्यते। यतः तस्य प्रयोजनं भवतः हितं। हानिविचारः क्रूरता एव। एतत् बहु अनुभवितुं अवगन्तुं च विषयः अस्ति।
माता बालकं स्तम्भयति, कश्चन वदति यत् माता अतीव क्रूरः अस्ति? यत्र तस्य उद्देश्यं तस्य बालकस्य कल्याणम्। एतत् तस्य रूपम्।
क्रूरता ईश्वरस्य आह्वानं कर्तुं शक्नोति।
.. परमराध्य: पूज्य; श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।