श्री राधारमणो विजयते||
एक होता है कर्णाख्या गुरु। कर्णाख्या गुरु मतलब जिससे मिलकर आपके मन में केवल और केवल वैराग्य जागृत हो। कभी-कभी जीवन में ऐसी चीज होती है। अरे भाई यह सब सच में नाटक है।
चाहे अभी हमें घर में ही रहना है, व्यवस्था में ही रहना है, बच्चा छोटा है, परिवार की जिम्मेदारी है, व्यापार है यह सब ठाकुरजी ने सब संबंध दिए हैं।
ठाकुरजी ने दुनिया के संबंध कई बार इसलिए भी देते हैं कि वह देखते हैं कि सामने वाला यह संबंध कितने बढ़िया से निभाता है।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
जब अस्थायी संबंध ठीक से नहीं निभा रहा तो स्थायी संबंध कैसे निभाएगा? ठाकुरजी कभी कभी चेक कर लेते हैं।
इसलिए कर्णाख्या गुरु किसे कहते हैं? जिसे देखकर कभी-कभी थोड़ी देर के लिए ही सही पर कई बार विलग विलग लोग खासकर कुंभ में जाकर महात्मा बैठे रहते हैं आप उनका दर्शन करिए तो पता चलता है जिंदगी के परे भी कुछ है। हम यह सब जो झंझट में फंस रहे हैं इसके अलग भी पूरी एक दुनिया है जिसका अपना सुख है।
जिसको देखकर सहज ही संन्यास वैराग्य के प्रति व्यक्ति की धीरे-धीरे भूमिका बनती है। धीरे-धीरे उसका मन बनता है। उसके प्रति उसका आकर्षण बनता है। वह आपको ज्यादा लौकिक व्यावहारिक भौतिक बातें नहीं बता सकता। मात्र उसका दर्शन मात्र। सब छोड़कर एकांत में जो उसकी मस्ती है उसका दर्शन कर लेने से
हमारे ब्रज में श्री तीनकौड़ी बाबा महाराज, पंडित बाबा महाराज कितने हैं बोलते नहीं पर ऐसा श्रेष्ठ वैराग्य मात्र उनका दर्शन। श्रीराधाकुंड जाओ शुद्ध बैरागी महापुरुषों का दर्शन मात्र कर लेने से हृदय को बड़ी शीतलता की प्राप्ति होती है।
वह सब कौन है? कर्णाख्या गुरु। जिनको देखकर जीव कभी-कभी यह प्रेरणा लेता है कभी हम भी
मैं बैरागन होऊंगी…
जिसकी भूमिका को देखकर मेवाड़ की महारानी चल दी।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Another Guru is called ‘Karnaakhya Guru’. ‘Karnaakhya Guru’ means, just merely by meeting him, there is an instant feeling of complete detachment or Vairagya. Some times such incidents happen in our life! Arrey Bhaiya, this is nothing but a play!
Wether we continue to stay at home, amidst all the different situations, the children are small, the responsibility of the family needs to be fulfilled, the business needs to be looked after, all these have been given by Shree Thakurji for us to fulfill!
Thakurji by giving these responsibilities wants to test whether we are handling them properly or not.
‘Tvameva mata cha pita tvameva’.
When we are unable to handle even these temporary responsibilities then how can we take care of the permanent responsibilities? Thakurji, sometimes tests us in this way!
Therefore, who is a ‘Karnaakhya Guru’? By seeing them just once even if it is short lived, but a feeling of detachment does arise, particularly when you go to the Kumbh you see innumerable Mahatmas sitting there, when you observe and do their darshan then you feel that there is something beyond this mundane life also! Here, we are stuck in this rut but apart from all this, there exists a different world which has divine happiness attached to it.
By seeing and studying it, gradually one moves towards Vairagya and a natural sanyasa. One starts getting attracted towards it. This Guru cannot tell you much about materialistic behavior. Just the darshsan is enough! He is absolutely absorbed in the Divine Bliss inspite of being in the crowd, this Masti is indeed infectious!
In our Braja, we have Shri Tinkauri Baba Maharaj, Pandit Baba Maharaj, they don’t speak but their Vairagya is indeed very revered! When you go to Shree Radha Kunda, just the darshsan of the Shuddha Bairagi Mahatmas, our hearts experience a Divine peace and tranquility!
Who are they? ‘Karnaakhya Guru’! By seeing them this line comesalive; ‘Mai bairaagan houngi…’
By seeing this very quality or influence, the Maharani of Mewar just walked away!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||