श्री राधारमणो विजयते
मैं एक बात निवेदन करूँ- चाहे भगवान तुम्हारे सामने खड़ा हो, पर बिना गुरु के दिखाए सामने खड़े भगवान से भी मिलना कठिन है। बिना सद्गुरु के वो चश्मा नहीं मिल सकता, जिससे परमात्मा की अनुभूति हो जाय। वही ईशारा करके अनुभव कराएगा।
और दूसरी बात और कहूँ
अगर आप सनातन धर्म के अनुयायी हो, अगर आप हिन्दू धर्म पर विश्वास करते हो, अगर आप वैदिक धर्म का अनुगमन करते हो तो एक चीज अपने जीवन में कभी मत कीजिएगा… और वो क्या है?
किसी भी चीज को साधारण मत समझिएगा।
न जाने का रूप में नारायण मिल जाय
हमने पत्थरों को साधारण नहीं समझा, कहीं शिव ढूँढ लिए तो कहीं शालिग्राम ढूँढ लिए। हमने वृक्षों को साधारण नहीं समझा, कहीं दवाई ढूँढ ली तो कहीं साक्षात् परब्रह्म को ढूँढ लिया। हमने सर्पों को साधारण नहीं समझा, हमनै मूषकों को साधारण नहीं समझा।
किसी न किसी पक्षी में, हर जीव हर जन्तु में सबमें परमात्मा का अनुभव किया गया है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
II Shree Radharamanno Vijayatey II
I would like to make this submission; even if the Almighty is standing in front of you but without the Guru confirming His presence, it is very difficult to recognize the Divine who is right there! Without the grace of Sadguru we dont get that divine vision through which we can see Him.That indication leads us to realisation!
Let me add one more thing;
If you are the follower of the Sanatana Dharma, if you believe in the tenets of the Hindu Dharma, if you walk on the path shown by the Vedic Dharma then please never do this one thing in life…..what is that?
Don’t consider anything to be ordinary! ‘Na jaaney kis roop mein Narayana mil jaaye’!
We don’t consider stones to be ordinary, somewhere we found Shivlinga at another we got Shree Shaligram! We don’t consider trees to be ordinary, we found medicines somewhere or at another got the Para Brahman incarnate! We don’t even consider snakes to be ordinary nor do we think of the toads to be ordinary.
In each and every bird, every Jeeva or a Jantu, we have visualized the Divine everywhere.
II Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj II
एकं वस्तु याचयामि – यदि ईश्वरः भवतः पुरतः स्थितः अस्ति चेदपि भवतः पुरतः स्थितस्य ईश्वरस्य अपि गुरुणा दर्शितं विना मिलनं कठिनम् अस्ति। सद्गुरुं विना तानि चक्षुषः प्राप्तुं न शक्यन्ते येषां माध्यमेन ईश्वरस्य अनुभवः कर्तुं शक्यते। सः संकेतान् दत्त्वा अनुभवं दास्यति।
एकं च वदामि
यदि भवान् सनातनधर्मस्य अनुयायी अस्ति, यदि भवान् हिन्दुधर्मे विश्वासं करोति, यदि भवान् वैदिकधर्मस्य अनुसरणं करोति तर्हि भवान् स्वजीवने कदापि एकं कार्यं न करिष्यति… तथा च तत् किम्?
किमपि न गृह्यताम्।
नारायणः अविज्ञातरूपेण लभ्यते
वयं पाषाणान् साधारणान् न मन्यामहे, केषुचित् स्थानेषु शिवं, केषुचित् स्थानेषु शालिग्रामं च प्राप्नुमः। वयं वृक्षान् साधारणान् न मन्यामहे, क्वचित् औषधं कुत्रचित् परमेश्वरं च प्राप्नुमः। न वयं सर्पान् साधारणान् मन्यामहे, कृन्तकान् साधारणान् न मन्यामहे।
ईश्वरः केषुचित् पक्षिषु, प्रत्येकस्मिन् जीवे, प्रत्येकं पशुषु अनुभवितः अस्ति।
॥परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।।