श्री राधारमणो विजयते
जैसे किसान खेत में चलता है और एक मुट्ठी से हजारों बीज खेत में उछाल देता है। तो हर बार उछलते समय सारे बीज उस क्षेत्र तक नहीं जाते हैं जहाँ पर फसल, फल, फूल उगना है। कोई बीज बिखर जाता है, कोई चट्टान पर पहुँच जाता है, कोई गलत जगह चला जाता है। पर
उठाते हुए 100 बीजों में से एक बीज कैसे ना कैसे उसे क्षेत्र में पहुंचकर के किसी छेद में अटक जाता है और जैसे ही उसको जल और सूर्य के प्रकाश की प्राप्ति होती है थोड़े दिन में फूट करके, एक सुंदर पौधा बनाकर के वह अपनी उपस्थिति तुम्हारे सामने प्रस्तुत कर देता है। और फिर फल को देकर के तुमको तृप्ति कर देता है। ऐसे ही
जब तुम महात्मा के आश्रय में बैठते हो तो वह रस और सिद्धांत के बीजों की बौछार तुम्हारे ऊपर करता है।
सब नहीं जाएगी अंदर, सब नहीं आएंगे समझ में। पर चिंता मत करो। अगर एक भी रस का बीज तुम्हारे कान के छेद में से अंदर घुसकर तुम्हारे दिल की भूमि में गढ़ गया तो एक दिन राधारमण का दर्शन करते हुए आँखों से बहती हुई धारा उसे बीज को फसल बनने में मदद करेगी।
उसके लिए प्रतीक्षा करो।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
When a farmer walks in his field, he goes on scattering a fist full of seeds. All the seeds that he scatters don’t go to the spot where they ought to have been planted to grow and give fruits and flowers. Some get strwen on the path, some land on the rocky terrain and a few get thrown into barren land. But;
Somehow, out of these hundreds of seeds one falls into a crevice, where it gets adequate water and sunlight and in due course it sprouts and turns into a beautiful plant and attracts your attention with its beauty. Fruits grow and they nourish you with their sweetness. In the same way;
When you are seated in the refuge of a Mahatma at his Lotus Feet, he showers you with the seeds of Rasa and Siddhanta or doctrines.
Everything doesn’t percolate into you, you can’t understand each and every thing but don’t worry! Even if one tiny seed of Rasa enters through your ears and gets embedded in the soil of your heart, then one day, while doing the darshsan of Shree Radha Raman the stream of tears will start flowing down your cheeks and shall water the seed and turn it into a nourishing crop!
Wait patiently for that moment!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
यथा कृषकः क्षेत्रे गच्छति तथा च एकेन मुष्टिना क्षेत्रे सहस्राणि बीजानि क्षिपति। अतः प्रत्येकं समये तत् उच्छिष्टं भवति, सर्वे बीजानि यत्र सस्यानि, फलानि, पुष्पाणि वर्धयितुं भवन्ति तत्र न प्राप्नुवन्ति । केचन बीजानि विकीर्णानि, केचन शिलां प्राप्नुवन्ति, केचन गलतस्थानं गच्छन्ति। किन्तु
चिनोति, 100 बीजेषु एकं बीजं कथञ्चित् क्षेत्रं प्राप्य छिद्रे अटति तथा च जलं सूर्यप्रकाशं च प्राप्नोति एव, कतिपयेषु दिनेषु सः एकं सुन्दरं वनस्पतिं कृत्वा भवतः नेत्रयोः अनुभूयते। अग्रे प्रस्तुतं करोति। ततः च भवन्तं फलं दत्त्वा त्वां सन्तुष्टिं करोति। तथैव .
यदा त्वं महात्मस्य आश्रये उपविशसि तदा सः त्वयि सारस्य सिद्धान्तानां च बीजानि वर्षयति।
न सर्वं गमिष्यति, न सर्वं ज्ञास्यति। परन्तु चिन्ता न कुर्वन्तु। यदि रासस्य एकः बीजः अपि भवतः कर्णस्य छिद्रं प्रविश्य भवतः हृदयस्य मृत्तिकायां रोपितः भवति, तर्हि एकस्मिन् दिने प्रवाहः नेत्रेभ्यः प्रवहति, राधामैनः च दृष्ट्वा तस्य बीजस्य सस्यत्वं साहाय्यं करिष्यति।
तस्य प्रतीक्षां कुर्वन्तु।
॥ परमरध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।