श्री राधारमणो विजयते
अगर जीवन में परमात्मा नहीं होगा तो छोटी से छोटी चीजों का प्रभाव पड़ेगा। धर्म जीवन की विपरीतताओं से बचा लेता है।
एक दृष्टांत मैं दिया करता हूँ
दो माताओं ने दो रसोइयों में दो भगोड़े में दूध रखा। पहला दूध उबला माता दौड़ी ध्यान नहीं दिया नंगे हाथों से पकड़ लिया और जल गई। दूसरा भगोना उबला दूसरी माता गई वह सावधान थी दूध उबला समय उसने साड़ी का आंचल आगे किया और कपड़े से भगोना पकड़ कर रख दिया। गरम उतना ही था पर हाथ नहीं जला।
भजन उस कपड़े को ही कहते हैं। धर्म उस कपड़े का ही नाम है। जहर मीरा को भी मिलेगा पर वो नाचती पी जाएगी। तुमको कोई टेढ़े मुंह से देखले नींद उड़ जाती है हरिदास ठाकुर को बाइस बजार में कोड़े पड़ते हैं पर हरिदास ठाकुर मारने वालों से कहते हैं तुम थक गए हो तो इंतजार कर लो मैं कहीं नहीं जाऊँगा।
भजन बचा लेता है। वो परमात्मा का अनुभव तुम्हें मुश्किलों में भी मुस्कुराने पर मजबूर कर देगा। परमात्मा से प्रेम होगा तो जगत के प्रति आशा नहीं रहेगी।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
If one doesn’t feel the presence of the Almighty in life then even the smallest of things will affect the person. Dharma protects against the most adverse situation in life.
I often quote this example;
Two women kept the milk to boil on the burner. The milk came to boiling and the first lady ran to save it from spilling, tried picking up the pan with her hands and got burnt. The second lady was cautious and used the edge of her garment to hold the pan and brought it down. Both the pans were hot but the result was different.
Bhajan is that piece of the garment. Dharma is that cloth. Meera was given poison but she drank it merrily. If someone tries to look at you mockingly, it upsets you no end. Haridas Thakur was whipped in the middle of the ‘Baais Bazar’; seeing the soldiers tired, Haridas Thakur turns towards them and says that you seem to be tired, rest for a while and then restart whipping me, I promise not to go anywhere!
Bhajan is the savior. The Divine experience will enable you to smile amidst adversities. If you have Prema for the Divine, you will be rid from any expectation of the world!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
यदि जीवने ईश्वरः नास्ति तर्हि लघुतमवस्तूनाम् अपि प्रभावः भविष्यति। धर्मः अस्मान् जीवनस्य विपत्तिभ्यः तारयति।
अहं उदाहरणं दास्यामि
मातृद्वयं पाकशालाद्वये कड़ाहीद्वये दुग्धं स्थापयति स्म । प्रथमं क्षीरं क्वाथं, माता धावितवती, अवधानं न दत्तवती, नग्नहस्तेन गृहीत्वा दग्धवती। द्वितीयः भगोनः क्वाथितः। द्वितीया माता अगच्छत्। सा क्षीरस्य क्वाथस्य समये सावधानः आसीत् । सा साडीपार्श्वं पुरतः कृत्वा पटेन सह भगोनं धारयति स्म। तुल्यम् उष्णम् आसीत् किन्तु मम हस्तौ न दग्धौ।
भजन तद् पटमेव उच्यते। तस्य पटस्यैव नाम धर्मः । मीरा अपि विषं प्राप्स्यति परन्तु नृत्यं कुर्वन्ती तत् पिबति। यदा कश्चित् त्वां कुटिलवदना पश्यति तदा तस्य निद्रा नष्टा भवति । हरिदास ठाकुरः द्वाविंशतिविपण्येषु चाबुकं प्राप्नोति, परन्तु हरिदास ठाकुरः तान् ताडयन्तः कथयति, यदि भवन्तः श्रान्ताः सन्ति तर्हि तिष्ठन्तु, अहं कुत्रापि न गमिष्यामि।
भजन रक्षति। सः ईश्वरस्य अनुभवः भवन्तं कष्टेषु अपि स्मितं कर्तुं बाध्यं करिष्यति। यदि वयं ईश्वरं प्रेम्णामः तर्हि जगतः आशा न भविष्यति।
..परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।।