कई लोग कहते हैं- महाराज जी! हम धार्मिक होना चाहते हैं हम क्या करें? मैं एक ही निवेदन करूँ, हमारे यहाँ इतने सारे साधन है जो मर्जी हो सो करो। यज्ञ करो, योग करो, जप करो…
किसी ने पूछा- महाराज जी! पुरुषोत्तम मास चल रहा है पुरुषोत्तम मास में हम क्या नियम लें? हमने उससे कहा- उत्तम पुरुष बनने का नियम ले। माला फेरना हो तो सब फेर ही लेंगे। उत्तम पुरुष बनो यही तो पुरुषोत्तम है। सबसे पहले उत्तम पुरुष नहीं बने तो पुरुषोत्तम का क्या लाभ?
इसलिए धर्म में कम करो, थोड़ा करो, ज्यादा करो यह आप पर छोड़ा है भगवान ने। बस जितना भी करो एक निवेदन किया है- उस कार्य को करने में चाहे थोड़ा सा ही, चाहे एक ही बार पूरे 24 घंटे में अपने एक बार राम बोल हो बहुत पर्याप्त है। पूर्ण है। सब कुछ कर लिया आपने।
पूरे 24 घंटे में एक बार आपने कृष्ण बोला हो, एक बार आपने राधारमण बोला हो, जहाँ तक आप पहुँच गए। इतना बहुत है। पर वो एक बार बोला हुआ भी कपट से निवृत्त होना चाहिए।
पता ही नहीं चलता कपट कब हम अपने से ही कर लेते हैं। भगवान ने स्वयं कहा है- मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Many people ask me, ‘Maharajji! I want to become Dharmic what should I do?’ I would just like to say that there are so many avenues or means available, do whatever you feel like! Perform Yagna, do Yoga, do Japa …….
Another person asked me, ‘Maharajji! The Purushottam Maas is going on, what practice of self-restraint should I follow?’ My answer was very simple, take the oath of becoming a good person! If someone likes to keep on telling the beads of one’s rosary, it is done by most very easily! Become a good person, that itself is Purushottam. If you can’t be good then what is the use of becoming Purushottam?
That is why, if you do less or more, it has been left to your discretion as far as Dharma is concerned. But, whatever you do, just one suggestion; in doing it even if you take very little time say in the entire 24 hours even if you utter Rama just once, it is enough! It is Poorna! In it, you have done everything!
In the entire day, if you have uttered Krishna just once or you have said Shree Radha Raman just once, you have reached your destination. It is sufficient! The precondition is that your utterance should be sans any deceit! One doesn’t even know, when he/she deceives their own selves! The Lord has openly declared; ‘Mohi kapat chhal chhidra na bhaava’||
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||