श्री राधारमणो विजयते
प्रहलाद किसको कहते हैं? जिसके पास आह्लाद होता है। अर्थात जब आप संकल्प भी कर लो, जब आप प्राप्त भी कर लो, जब आपकी ठाकुरजी के साथ संयुक्ति भी बैठ जाए, जब आप दुनिया को छोड़ने को भी तैयार हो जाओ।
जब आप अध्यात्म का रियाज़ करो तो आध्यात्मिक रियाज़ आपको तकलीफ़देह नहीं हो, आपको डिप्रेशन ना दे।
बैठे हैं सुबह-सुबह चिंता में की 16 माला करनी है। बुद्धि खराब हो गई, कैसे करें? कैसे करें? खींच रहे हैं कैसे न कैसे। डिप्रेशन में आ गए, गुस्सा आ गया, क्रोध आ गया। भैया ऐसे भजन का क्या करोगे? 16 मारा खींच रहे हो, क्रोध भी आ रहा है। इससे क्या फायदा?
इस बात का ध्यान रखो। मतलब भजन में आह्लाद होना चाहिए। आह्लाद कब हो सकता है? जब संकल्प से पहले जो विश्वास था वह विश्वास अति प्रगाढ़ हो जाए कि जिंदगी की कोई सी स्थिति में आप भगवान से अलग-विलग नहीं मानो अपने आप को। उन्हीं के शरणागत मानो। तब आ आप इस मस्ती को प्राप्त कर सकते हैं।
हम छोटी-छोटी चीजों में तकलीफों में पड़ जाते हैं। हमको पड़ोसी,दोस्त,यार दुख देने वाले हैं, प्रहलाद को उसका पिता दुख देने वाला है; उसके बाद भी प्रहलाद के जीवन में शंका और संदेह की एक रेखा तक भी नहीं खिंची। वह जितना आता था उतनी जोर से-
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Who is Prahlad? The one who has Ahllaad or Ecstasy in life. Meaning, when you have done the Sankalpa and have attained, you have been able to establish a relation with Shree Thakurji and you are willing to give up the world.
When you practice spirituality then this exercise should not become burdensome or depressing!
Waking up early in the morning with the worry that I have to do 16 Malas. Had I gone mad to take this vow, how will I do it? What to do? I am pulling myself somehow or the other. This has pulled you down into depression, resulting into anger! Bhaiya, how will you do Bhajan in this way? You are pulling the the beads somehow to complete 16 Malas and also getting annoyed! What’s the use?
Please remember this! Meaning, your Bhajan should be steeped in ecstasy! How will ecstasy come? When the trust you had before the Sankalpa, becomes solid, in other words, in any situation of life, you don’t consider yourself separate from the Divine! Always experience your complete unconditional surrender unto Him. Only then can you experience this state of Masti or ecstasy.
Even during small-small things we feel that we are in deep trouble. We feel that the neighbor or friend or the acquaintance is causing pain but in the case of Prahlad, his father was his sworn enemy, inspite of this there was not an iota of any doubt in his life. The obstacles would be heaped on him and with doubled vigor he would chant –
‘Harey Krishna Harey Krishna Krishna Krishna Harey Harey|
Harey Rama Harey Rama Rama Rama Harey Harey||’
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
प्रह्लाद इति कः? यस्य आनन्दः अस्ति। अर्थात् यदा त्वं संकल्पं करोषि, यदा साधयसि, यदा त्वं ठाकुरजीन सह एकीकृतः असि, यदा त्वं जगतः त्यक्तुं सज्जः असि।
यदा भवन्तः अध्यात्मम् आचरन्ति तदा आध्यात्मिकः अभ्यासः भवतः किमपि कष्टं न जनयेत्, तया भवतः विषादः न दातव्यः।
प्रातःकाले उपविश्य, १६ मालाकरणं कर्तव्यमिति चिन्ता। मम मनः नष्टं किं कर्तव्यम् ? कथं करणीयम् ? कथञ्चित् कर्षन् । विषादितः, क्रुद्धः, क्रुद्धः अभवत्। भ्राता, एतादृशेन स्तोत्रेण किं करिष्यसि ? 16 त्वं तारान् कर्षसि, अहम् अपि क्रुद्धः अस्मि। अस्य किं लाभः ?
एतत् मनसि धारयतु। भजन इत्यत्र आनन्दः भवेत् इत्यर्थः। आनन्दः कदा भवितुम् अर्हति ? यदा संकल्पात् पूर्वं भवतः विश्वासः एतावत् प्रबलः भवति यत् जीवनस्य कस्यापि परिस्थितौ भवतः ईश्वरात् पृथक् न मन्यते। तेभ्यः समर्पितं मन्यताम्। तदा भवन्तः एतस्य विनोदस्य आनन्दं लब्धुं शक्नुवन्ति।
वयं लघुविषयेषु विपत्तौ भवेम। प्रतिवेशिनः, मित्राणि, परिचिताः च अस्मान् क्षतिं कर्तुं गच्छन्ति, प्रह्लादः पित्रा आहतं कर्तुं गच्छति; तदनन्तरमपि प्रह्लादस्य जीवने संशयशङ्कायाः एकां रेखा अपि न आकृष्यते स्म । सः यथाशक्ति उच्चैः आगतः-
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
॥परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:॥