जैसे कोई आम्र के वृक्ष के नीचे बैठे और उससे पूछो कि तुम क्या लेकर आए हो तो वह बोले कि बड़ी धूप थी मैं छांव में बैठ कर आया हूँ। यह बड़े दुर्भाग्य की बात है। आम्रकानन के नीचे आम्रवृक्ष के नीचे तुम केवल धूप से बच कर आए हो? वह तो तुम ठूँठ के नीचे से भी बच लेते। कोई ठूँठ जिसमें पत्ते भी ना थे उसके नीचे भी बैठ जाते तो धूप से बच जाते।
उससे श्रेष्ठ है, क्या ले आया? आम वृक्ष की काष्ठ ले आया। यज्ञ आदि के लिए। उसे श्रेष्ठ व्यक्ति है, क्या ले आया? पत्ते तोड़ लाया। कलश में लगाने के लिए, बंदनवार बांधने के लिए। औषधि में प्रयोग करने के लिए। और
उससे भी श्रेष्ठ व्यक्ति कौन है? जो उस आम्रवृक्ष के नीचे से आम्र का फल ले आया। वहीं बैठकर उसका आस्वादन किया। तदनुरूप ही
भजन के अनंत परिमाण है। एक व्यक्ति है जो दिव्य हरिनाम महामंत्र जो महाप्रभुजी ने उद्घोष करके प्रदान किया है। इस भजन के आश्रय में बैठकर केवल अपनी अनर्थ की निवृत्ति तक ही उलझा हुआ है। वह तो केवल वही व्यक्ति है जो धूप से बचने आया है।
उससे श्रेष्ठ फिर वह है जो भजन गुरु साधना की पुष्टि के लिए प्रयोग करता है। अपने भीतर जल रही प्रेमाग्नि के यज्ञ कुंड में आहुति प्रदान करने की समिधा के रूप में प्रयोग करता है।
उससे श्रेष्ठ वह है जो भजन के माध्यम से बंदनवार बनाकर ठाकुरजी की प्रतीक्षा करता है। पर
सर्वोत्तम व्यक्तित्व वही है जो उस भजन के वृक्ष के नीचे बैठकर निकुंज लीला के इस विशुद्ध आम्रफल का आस्वादन कर लेता है। यही भजन का विशुद्ध परिवेश है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
II Shree Radharamanno Vijayatey II
If someone is sitting under a mango tree and he is asked that what have you got and he says that I sat in the shade of the mango tree to protect myself from the scorching Sun. This is indeed a very unfortunate thing to say. In a mango grove you just went to avoid the hot Sun? You could have done this even under a bare tree without any leaves. Any barren tree would have given you that shade!
Improving a bit more the person says that I have got some wood to be used as ‘Samidha’ in the Yagna. What is better than this is when the fellow has got leaves to be used in the ‘Kalash’ during Pooja as well as to be tied up as bunting. I have got the bark to be used in making medicine. What is still greater than that?
The one who sat in the shade and relished eating the sweet mangoes and even has got some for others to enjoy. Similarly;
There are different types of Bhajan. There is person who is chanting the Divine Maha Mantra given by ‘Shreemann Mahaprabhuji’. Taking the refuge of this Bhajan, the person is busy using it for overcoming the petty day to day problems in life. He is just like the one who sat in the shade of the mango tree only to avoid the hot Sun.
The next one is the one who does the Bhajan to empower and progress in his Guru Sadhana. Further, he uses it as the Samidha to keep the ‘Premagni’ burning in the Yagna-Kunda within him alit all the time!
Better still is the one who decorates the bunting and patiently waits for the Lord to arrive. But,
The best is the one who sits under the tree of Bhajan and relishes the sweetest mango of the pure ‘Nikunj-Leela’! This is the domain of the most sacred Bhajan!
II Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj II