हमारे जीवन में जो प्रोग्रेसिव करने वाली एनर्जी है, हमें विकसित करने वाली जो ऊर्जा है उसका नाम है विश्वास। विश्वास ही हमारे जीवन में ऊर्जा का सन्निपात करता है। कॉन्फिडेंस का मतलब ही होता है faith. विश्वास जीवन में आराम लेकर आता है।
हम कहीं जाते हैं उससे पहले हमारा विश्वास वहाँ जाता है। अनइंटेंशनली विश्वास हमें सदा आगे लीड करता है।
बस एक छोटी सी बात है कि हमारे विश्वास का स्तर बड़ा छोटा है। हम विश्वास कर लेते हैं एक छोटे से व्यक्ति पर। एक पायलट पर विश्वास कर लेते हैं। ना उसका नाम, पता मालूम है, ना उसका खानदान मालूम, ना उसकी सोच मालूम, ना उसकी बुराई मालूम, न उससे कभी मिले बस वो आगे बैठा है दरवाजा बंद करके आप पीछे बैठे हो और आप अपनी पूरी लाइफ उसको सौंप दिया। पैसा देकर वो भी। जा तू ले जा 35000 फुट की ऊंचाई पर। अभी नींद आए उसको कैसी खतरनाक स्थिति हो जाएगी।
एक आदमी यात्रा कर रहा है डेढ़ सौ पर गाड़ी दौड़ रही है। पता है कि ले ही जाएगा। अगर आप इतना क्रुसिअल् कर लोगे जिंदगी को तो चलना मुश्किल हो जाएगा।
सर्जरी के लिए व्यक्ति गया डॉक्टर को पूरे सौंप दिया। जो मर्जी करें। साइन और कर दिया मर गए तो तेरी कोई जिम्मेदारी नहीं। और जिंदा रहे तो डॉक्टर भगवान के रूप में आया। वह जो मर्जी करे। पूरा पेट चीर दिया अंदर हाथ डालकर खेल कर रहा है। लिवर किडनी के साथ खेल रहा है। मालूम नहीं उस समय उसका क्या इंटेंशन है। हम तो जानते भी नहीं है पर फिर भी क्योंकि सब लोग करते हैं।
क्राउड बड़ी आसानी से हमें faith डेवलप कर देता है। किसी जगह पर भी जाए अगर वहाँ भीड़ है तो हमें लगता है कि यह जगह बहुत अच्छी है। बहुतों ने उसको एक्सपीरियंस किया है तो हमारा faith बहुत आसान हो जाता है।
हमारे जीवन के प्रोग्रेसिव एनर्जी सदा हमारा फेथ है। सदा विश्वास आगे चलता है। विश्वास ही शांति का अनुभव कराता है। किसी दो संबंध के बीच में दृढ़ विश्वास हो तो पूरी दुनिया एक तरफ खड़ी हो, आपके संबंध को कोई नहीं हिला सकता। और जरा सा संशय पैदा हो जाए तो श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं-
संशय आत्मा वनश्यति।।
जीवन को नष्ट करना हो तो डाउटफुल हो जाओ जीवन नष्ट हो जाएगा। विश्वास ही लाइफ को प्रोग्रेसिव बनाता है। यही जीवन का प्रिंसिपल है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
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|| Shree Radharamanno Vijayatey ||
The progressive energy in our life or that which leads us on the path of progress is ‘Vishwas’ or faith. ‘Vishwas’ is the aggregator of all the energy. In other words, confidence means faith. Faith provides comfort.
Before we go anywhere, our faith precedes us. Unintentionally, the faith always leads the way.
A very small thing i.e., the level of our faith is very shallow or small. We tend to believe a stranger, like we trust the pilot with our life. We don’t even know him, neither his name, nor his address, neither his family, nor his thinking, neither his shortcomings, have never met him but he is steering the plane seated in the front behind a closed door and we are sitting behind quietly having entrusted our life to him. That too, at times paying through our nose! Go and fly at the height of thirty-five thousand feet and for any reason if he doses off then what will happen?
A person is travelling in a car going at the speed of one hundred and fifty kms an hour. There is this conviction that the driver will take us to our desired destination. If you make your life crucial then it will become very difficult to move forward in life.
When one goes in for a surgery, he/she hands the life in the hands of the surgeon. The surgeon also makes you sign a bond that in case you die, he will not be held responsible, a sort of an indemnity bond. If you survive then the doctor becomes the saviour or akin to God. He can do whatever he likes. He opens you up, puts his hands inside and seems to be playing around inside with the liver or the kidneys. We don’t know at that time what is his intention? We don’t even know him but since so many others say, so we also trust him!
The crowd tends to influence our belief very easily. If we go somewhere and see it crowded then our mind says that it should be good. Since so many others have thronged here, it influences our thinking very easily.
The progressive energy in our life is always our faith. It always walks in front or precedes us. It is what makes us feel at peace. If there is a strong bond of trust in any relationship then even if the entire world stands up against it, nobody can shake or break your friendship. If an iota of doubt enters, then Lord Krishna says in the Gita;
Sanshyatma vinashyati ||
If you want to destroy your life then harbour doubt or start disbelieving. So, ‘Vishwas’ is ultimately the driving or the progressive force in life. This is the life principle!
|| Param Aaradhya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj ||
श्री पुण्डरीक जी सूत्र (१३-०६-२०२३)
अस्माकं जीवने प्रगतिशीलशक्तिः, या ऊर्जा अस्मान् वर्धयति सा विश्वासः इति उच्यते। विश्वासः एव अस्माकं जीवने ऊर्जां प्रविशति। विश्वासः एव श्रद्धा इत्यर्थः । विश्वासः जीवने आरामं जनयति।
कुत्रापि गमनात् पूर्वं अस्माकं विश्वासः तत्र गच्छति। अनभिप्रेतः विश्वासः अस्मान् सर्वदा अग्रे नेति।
अस्माकं विश्वासस्य स्तरः अतीव अल्पः इति केवलं लघुः विषयः। वयं लघुपुरुषे विश्वासं कुर्मः। एकस्मिन् पायलटे विश्वासं कुर्मः। तस्य नाम, पता न जानाति, तस्य कुटुम्बं न जानाति, तस्य विचारान् न जानाति, तस्य दुष्टतां न जानाति, कदापि न मिलितवान्, केवलं सः पुरतः उपविष्टः द्वारं पिधाय, त्वं पृष्ठतः उपविष्टः असि च त्वं च भवतः सर्वं जीवनं तस्मै समर्पितवान्। तदपि धनदानेन। जा तु ले जा ३५००० पादपरिमितोच्चतायां । यदि सः इदानीं स्वपिति तर्हि सः कीदृशे भयङ्करस्थितौ भविष्यति।
एकः पुरुषः यात्रां करोति, एकः कारः च १५० मध्ये धावति, सः अवश्यमेव तत् गृह्णीयात् इति ज्ञातव्यम्। यदि भवन्तः जीवनं एतावत् गम्भीरं कुर्वन्ति तर्हि तस्य गमनं कठिनं भविष्यति।
सः व्यक्तिः शल्यक्रियायै वैद्यस्य हस्ते समर्पितः। यत् इच्छसि तत् कुरु। हस्ताक्षरितं कृतं च, यदि भवन्तः म्रियन्ते तर्हि भवतः कोऽपि उत्तरदायित्वं नास्ति। यदि च सः जीवितः आसीत् तर्हि वैद्यः ईश्वररूपेण आगतः। सः यत् इच्छति तत् कर्तुं शक्नोति। सर्वं उदरं विदारयन्, सः हस्तं अन्तः स्थापयित्वा क्रीडति। यकृत् वृक्केन सह क्रीडति। तस्मिन् समये तस्य अभिप्रायः किम् आसीत् इति न जानामि। वयं न जानीमः अपि किन्तु अद्यापि यतः सर्वे जानन्ति।
जनसमूहः अस्मान् अतीव सुलभतया विश्वासस्य विकासं करोति। कस्मिन् अपि स्थाने गच्छन्तु यद्यपि जनसमूहः अस्ति तदा वयं अनुभवामः यत् एतत् स्थानं अतीव उत्तमम् अस्ति। अनेके तत् अनुभवितवन्तः अतः अस्माकं विश्वासः अतीव सुलभः भवति।
अस्माकं जीवनस्य प्रगतिशीलशक्तिः सर्वदा अस्माकं विश्वासः एव भवति। श्रद्धा सर्वदा अग्रे गच्छति। श्रद्धा एव शान्तिस्य अनुभवं ददाति। यदि द्वयोः सम्बन्धयोः मध्ये दृढः विश्वासः अस्ति तर्हि समग्रं जगत् पार्श्वे तिष्ठति, भवतः सम्बन्धं कोऽपि कम्पयितुं न शक्नोति। यदि च किञ्चित् संशयः उत्पद्यते चेत् श्रीकृष्णः गीतायां वदति-
संशयः आत्मानः प्रवासः।
यदि त्वं जीवनं नाशं कर्तुम् इच्छसि तर्हि संशयः भव, जीवनं नाशं भविष्यति। श्रद्धा जीवनं प्रगतिशीलं करोति। इति जीवनस्य प्रधानम् ।
-परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।