II Shree Radharamanno Vijayatey II
The meaning of Mantra is to tie up or focus the mind at one place. The body does not have an active role to play here. Goswami Tulsidasji says; ‘Mantra mahamanni vishaya vyaal ke’ II The Mantra binds the mind. Keep on repeating the Mantra constantly.
We have seen this sometimes people saying that don’t involve the kids in too much Bhakti, when young girls start doing Bhakti, the family members say that don’t get her involved in too much Bhakti because as a result it will become difficult to get her married into a good family.
What a silly argument is this?
Please don’t treat devotion seperate from your day to day life. Let is blossom naturally!
II Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj II
मंत्र का अर्थ होता है- मन को एक जगह बांधना। शरीर कुछ नहीं करता इसमें। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसी क्षेत्र में लिखा- मंत्र महामणि विषय व्याल की।। मंत्र बिल्कुल मन को बांध देता है। बार बार मंत्र दोहराते रहो।
कभी कभी हमने देखा है कहा जाता है कि बच्चों को ज्यादा भक्ति में मत डालो, कई छोटी छोटी बच्चियाँ भक्ति में आती हैं तो घरवाले सलाह देते हैं कि कन्या को ज्यादा भजन भक्ति मत कराओ, कोई अच्छी जगह व्याह नहीं होगा।
ये कैसी विचित्र व्याख्या है।
हम डिवोशन को अपने सामान्य जीवन से विरोध ना माने। सहज माने।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
मन्त्रार्थः एकस्मिन् स्थाने मनः बध्नाति। अस्मिन् शरीरं किमपि न करोति। गोस्वामी तुलसीदास जी ने इत्थम् क्षेत्रे अलिखत् – मंत्र महामणि विषय व्याल कि. मन्त्रः सम्पूर्णतया मनः बध्नाति। मुहुर्मुहुः मन्त्रं पुनः पुनः ।
कदाचित् अस्माभिः दृष्टं यत् एतत् उक्तं यत् बालकान् अतिशयेन भक्तौ न प्रवर्तयतु, यदा बहवः लघु बालिकाः भक्तिं प्रति आगच्छन्ति, तदा परिवारजनाः उपदेशं ददति यत् बालिकायाः अतिशयेन भजनभक्तिः न कर्तव्या, तत्र किमपि हितं न भविष्यति विवाहार्थं स्थानम् ।
किं विचित्रं व्याख्यानम् एतत्।
अस्माभिः भक्तिं सामान्यजीवनेन सह विग्रहः इति न मन्तव्यम् । सुलभं मन्यताम्।
..परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।