श्री राधारमणो विजयते ||
आपके भजन के समय, धर्म के समय अगर कोई पारिवारिक लौकिक या कोई सामाजिक व्यक्ति विघ्न डालता हो तो साधकों मैं निवेदन करूँ- उसको दुश्मन मत मानिएगा।
वो भगवद् लीला का सहयोगी है। आप भजन कर रहे हो, वो विघ्न कर रहा है।
आप कहोगे ये तो दुश्मन है मेरी भक्ति का? तो अगर ये रुख है कि प्रेम गली अति सांकरी तो प्रेम गली बहुत सांकरी है वहाँ प्रेम और द्वेष एक साथ नहीं रह सकता है।
आप ये मानो, कोई ग्वाला खूंटा चेक कर रहा है। हिल तो नहीं रहा, गड़ा गड़ाया है कि नहीं? और ये जो व्यक्ति मेरी निन्दा कर रहा है ये कहीं न कहीं इसमें भी भगवद् लीला में सहयोग कर रहा है।
चेक कर रहा है कि इसका भरोसा अभी भी दृढ़ है कि नहीं?
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
At the time of your Bhajan or when you are involved in any Dharmic activity, if any member of your family or anyone else for that matter comes and disturbs you then my earnst request to all the Sadhakas is that please don’t consider them to be your enemy or opposed to you!
They are the participants and helpers in the Bhagwad Lila. You are doing Bhajan and he/she is disturbing you.
You will argue that the person is inimical to my Bhakti! But the fact is ‘Prem gali ati saankri’, the pathway of Prema is very narrow and it cannot accomdate Prema and envy together!
Just consider it this way that a cow herd is checking the strength of the peg. Whether it is loose or firmly grounded? The one who is disturbing me is in some way or the other supportive in the Bhagwad Leela!
I am being examined whether my faith is firm or not?
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||