श्री राधारमणो विजयते
हम कोई भी काम शंका से करते हैं। बढ़िया घर बनाएँगे और घर के बाहर प्रेत लटका देंगें। उसका कहीं वर्णन नहीं सुना। उससे क्या मतलब है? बढ़िया बाहर लिखिए “अतिथि देवो भव”।। बाहर प्रेत लटका दिया उससे क्या होगा? मतलब डर भी रहे हो और अच्छा घर भी बना दिया? द्वार पर गणेशाय नमः, सुस्वागतम् लिखो तो समझ आए।
बढ़िया गाड़ी खरीद कर लाए और नीबू मिर्च लटका दिए। इससे क्या होगा?
कोई समझदार महापुरुष ऐसे कृत्य को करने के विषय में नहीं कहता। इसका धर्म से दूर-दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है। केला उछाला अमरूद बना दिया क्या फरक पड़ता है? इसको कोई संत नहीं कहते। जादूगरों को संत नहीं समझना। अमरूद बना दिया क्या फरक पड़ता है बाजार से अभी लेकर आओ।
हाँ दुराचारी को सदाचारी बनाए तो महापुरुष है। क्रूर को दया में बदल दे महापुरुष है।
कई चीजे कभी किसी कारण से शुरू हुई थी एक बहुत बड़े विषय से कहू़
दशहरा आता है लोग रावण को बनाते हैं उत्तर भारत में खास। वो क्यूँ शुरू हुआ ये कभी हमने सोचा है? और वहाँ होता भी क्या है? इतना दिमाग तो राम का मंदिर बनाने में भी नहीं लगाते जितना रावण बनाने में लगाते हैं।
एक महीना तक दिमाग मे रावण ही घूमता है। कॉलोनी में लोग चंदा करते हैं रावण बनाना है। और ये होता है किसका रावण बड़ा? उसका धर्म से दूर-दूर तक कोई मतलब ही नहीं है। एक कल्चर इवेंट है उसका धर्म से कोई मतलब नहीं है। बहुत सारी ऐसी चीजें हैं।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
We generally start anything with a doubt! People make a beautiful bungalow but put up a ghost head on the top. I am not aware of any description about it as to what does it mean? Get “Atithi Devo Bhava” inscribed and put it up. What will the ghost do?
No learned person will ask you to do this. This has no relation with Dharma, at all! You throw a banana up in the air and it becomes a guava, how does it matter? The one who can perform these tricks is not a Saint. If you get a guava, so what? It is easily available in the market.
If an unprincipled person can become a Saint, it means something. If an evil person becomes merciful then indeed, it is great!
Certain things were started with a purpose at a particular time. To give you an example, when Dussehra comes, particularly in North India, a huge effigy of Ravana is made. Why did this practice begin, we never bothered to find out. What happens there? No one applies so much mind in making a Rama Temple, as one puts in making this effigy.
Ravana is in the head of the people for a month! Huge amounts of donations are collected to make Ravana. There is a competition as to whose Ravana is bigger? Now, this has nothing to do anything with Dharma. Any cultural fest has no connection with Dharma, whatsoever. There are many such things prevalent even today!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
वयं यत्किमपि कार्यं संशयेन कुर्मः। सुन्दरं गृहं निर्माय गृहात् बहिः भूतं लम्बयिष्यति। तस्य वर्णनं कुत्रापि न श्रुतवान्। तस्य किम् अर्थः ? “अतिथि देवो भव” इति बहिः लेखनं साधु । यदि बहिः भूतः लम्बितः स्यात् तर्हि किं स्यात् ? अर्थात् त्वं भीतः असि, उत्तमं गृहं च निर्मितवान्? यदि द्वारे गणेशाय नमः, सुस्वगतम् इति लिखसि तर्हि ज्ञास्यति।
एकं सुन्दरं वाहनम् क्रीत्वा निम्बूमरिचं लम्बितवान्। एतेन किं भविष्यति ?
न कश्चित् महापुरुषः तादृशं कर्म अनुशंसयिष्यति। तस्य धर्मेण सह किमपि सम्बन्धः नास्ति । यदि भवन्तः कदलीफलं अमरूदमध्ये क्षिपन्ति तर्हि किं भेदः भवति ? न कश्चित् साधु इति कथयति। मायाविनः साधवः इति मा मन्यताम्। यदि भवता अमरूदः सज्जीकृतः तर्हि किं भेदः ? केवलं विपणात् आनयन्तु।
आम्, यदि सः दुष्टं सद्गुणं परिणमयति तर्हि सः महापुरुषः अस्ति। सः क्रूरतां दयालुतां परिणमयितुं शक्नोति महान् पुरुषः अस्ति।
अनेकानि कार्याणि केनचित् कारणेन आरब्धानि, अतीव महतः विषयात् वदामि।
दशहरा आगच्छति, जनाः उत्तरभारते रावणं विशेषं कुर्वन्ति। किं वयं कदापि चिन्तितवन्तः यत् किमर्थं आरब्धम्? तत्र च किं भवति ? वयं रामस्य मन्दिरस्य निर्माणे तावत् मस्तिष्कशक्तिं न स्थापयामः यथा रावणस्य मन्दिरस्य निर्माणे।
केवलं रावण एव मासं मनसि भ्रमति। रावणं कर्तुं जनाः उपनिवेशे दानं कुर्वन्ति। अयं च कस्य रावणः बृहत्तरः? तस्य धर्मेण सह किमपि सम्बन्धः नास्ति । एषः सांस्कृतिकः कार्यक्रमः अस्ति, तस्य धर्मेण सह किमपि सम्बन्धः नास्ति । एतादृशानि वस्तूनि बहु सन्ति।
..परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।।