18
Jul
पाप और पुण्य है क्या? कोई आज तक इसकी परिभाषा नहीं कर सका। पाप क्या है और पुण्य क्या है? एक क्रिया पाप की तरह लगती है वही क्रिया दूसरी दृष्टिकोण से पुण्य की तरह लगती है।
असावधानी से किया हुआ कोई भी कृत्य सदा पाप ही है। सूत्र पर विचार कीजिएगा। आपकी किसी भी क्रिया में आपकी alertness नहीं थी, ये पाप ही है। इससे बड़ा कोई पाप हो सकता है?
जब हमारा नियंत्रण हमारी इंद्रियों पर होता है हम पाप से निवृत्त होते हैं।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।