||Shree Radharamanno Vijayatey||
‘Prarthana’ or prayer does not mean failure! Usually, we pray when we are unable to do something and seek Divine help to accomplish our task. Generally speaking, this is prayer. But in no way a prayer means failure or inability! Like, if we are unable to lift something, we request the person standing closeby to kindly lend a helping hand! Similarly, we as ‘Jeeva’ have limited powers so we seek the help of the Almighty for help because He is all powerful! However, this is not the ‘Swaroop’ of prayer or ‘Prarthana’.
Failure or limitations are not prayer! To tell you the truth; compassion is prayer! Simplicity or humility is prayer! There is a lot of difference between limitations and humility! Prayer in no way is an inability, on the contrary, prayer is very powerful. The person who prays regularly, is always happy!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
प्रार्थना असफलता न भवति। यदा वयं प्रार्थयामः, यदा वयं किमपि कर्तुं न शक्नुमः तदा भवन्तः तत् कुर्वन्ति। सामान्यतया एतत् प्रार्थना इति उच्यते । प्रार्थना न असफलता, असमर्थता। यथा – यदि वयं किमपि उत्थापयितुं न शक्नुमः तर्हि कस्मैचित् तत् उत्थापयितुं याचयामः । अतः यत्किमपि कार्यं वयं कर्तुं न शक्नुमः, जीवः सीमितः अस्ति, अतः सः ब्रह्माणं तत् कर्तुं प्रार्थयति यतः भवतः असीमता अस्ति। न तु प्रार्थनायाः एषः स्वभावः।
असफलता न अनन्त प्रार्थना। सरलतया वक्तुं शक्यते यत् – करुणा प्रार्थना एव। सरलता प्रार्थना एव। असमर्थतायाः सरलतायाः च बहु भेदः अस्ति । प्रार्थना असम्भवं नास्ति, प्रार्थनायां बहु शक्तिः अस्ति। प्रार्थयन् सदा सुखी भवति।
..परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।
प्रार्थना असफलता नहीं है। हम प्रार्थना कब करते हैं जब हम कुछ कार्य नहीं कर सकते तो आप करिए। जनरली इसी को प्रार्थना कहा जाता है। प्रार्थना असफलता, असामर्थ्य नहीं है। जैसे हम कोई वस्तु नहीं उठा सकते तो किसी से कहें कि उठा ले। तो हम जिस कार्य को नहीं कर सकते, जीव सीमित है तो ब्रह्म से प्रार्थना करता है कि आप कर दीजिए क्योंकि आप असीमित है। पर प्रार्थना का स्वरूप ये नहीं है।
असफलता असीमितता प्रार्थना नहीं है। सही बात कहूँ- करुणा प्रार्थना है। सरलता प्रार्थना है। असमर्थता और सरलता में बहुत फर्क होता है। प्रार्थना असामर्थ्य नहीं है, प्रार्थना में बहुत सामर्थ्य होती है। प्रार्थी व्यक्ति तो सदैव खुश रहता है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।