व्यक्ति विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी कहीं ना कहीं भरोसा खोज लेता है और जीवन में बहुत दिव्यता से आगे बढ़ता है। सब कुछ बुरा हो पर अगर प्रभु के चरणों का विश्वास पक्का है तो उस बुरी से बुरी परिस्थिति में भी आपकी प्रसन्नता को कोई नहीं छीन सकता। इस अभ्यास को बड़ी सार्थकता से अगर आपने जीवन में स्वीकार कर लिया तो जीवन खुशहाल होगा।
यह क्या होती है चिंताएं? क्या होता है दुख? क्या होती है समस्याएं? कोई भी जीवन में अनुभव नहीं आएंगी। बड़े बड़े लोग हैं बड़ी बड़ी समस्या पर समाधान खोज लेते हैं। बड़े सहज रहते हैं। बड़ी से बड़ी समस्या आ गई फिर भी सुदृढ़ रहते हैं। क्योंकि उनको यह विश्वास है ‘राम सब कर सकते हैं पर मेरे साथ कभी गलत नहीं कर सकते’। यह बात अगर सुदृढ़ हो गई तो छोटी मोटी चीज जीवन में प्रभाव नहीं डालते।
जिसके जीवन में विश्वास नहीं है वही परेशान रहता है। उसने मुझे नहीं पूछा, उसने हमको हंसकर लौट कर नहीं देखा, घर गए पानी का गिलास तक नहीं पूछा। हर व्यवस्था के प्रति व्यक्ति बड़ी आसानी से अपनी खुशी को खोता जाता है। बहुत जल्दी से खो देता है।
एक परफेक्ट स्माइल और एक परफेक्ट स्मेल ही एक परफेक्ट पर्सनालिटी का प्रतीक होता है।
इसलिए एक बहुत स्टेबल विश्वास अगर जीवन में खड़ा हो तो बड़ी से बड़ी अग्नि से व्यक्ति निकल जाता है।
हम कथा से यही सीखते हैं। सब कुछ ले लिया दुर्योधन ने। दुनिया की सबसे बड़ी डेड लाइन दे दिया। इंद्रप्रस्थ के रूप में। युधिष्ठिर ने फिर महल बना दिया। वह फिर छीन लिया। किसने नहीं धोखा दिया, पर इस बात का दृढ़ विश्वास था कि श्रीकृष्ण मेरे साथ है। और इस एक विश्वास ने पांडवों को अंतिम समय तक लीड किया।
सब कुछ होते हुए भी एक रात दुर्योधन चैन की नींद नहीं सोया और कुछ ना होते हुए भी युधिष्ठिर खर्राटे मार कर सोता था।
जब जीवन में विश्वास इतना सुदृढ़ हो जाता है तो उसे कोई नहीं तोड़ सकता। यह बात पक्की है। भक्ति का अर्थ ही यही होता है-
भरोसो दृढ़ इन चरणन केरो॥
भरोसा समाधान है जीवन का।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
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|| Shree Radharamanno Vijayatey ||
One can find a point of trust even in the most trying circumstances and move ahead in life with dignity. Say, everything seems to be going wrong but your faith in the Lotus Feet of the Lord is unshakeable then no one can rob you of your smile. If you have practiced this art very diligently and ingrained it in your life, then rest assure that you will always be happy in life.
What worries? What sorrow? What problems or obstacles? Nothing will bother you. There are many great men who are able to find a solution to the most difficult problems. They live a very natural easy going life! Even if they are faced with the most difficult situation, they are not disturbed. Because, they have this confidence, ‘Shree Rama can do everything but will never do anything to harm me’! If this faith becomes firmly ingrained in one’s life, then the person will not be affected by the day to day problems in life.
The one who lacks faith is always disturbed. That fellow did not ask me, the other didn’t smile back and when I went to that chap’s house, he didn’t even bother to ask me for a glass of water! In each and every situation, such an individual is unhappy. He becomes despondent very quickly.
A perfect smile and a perfect confidence reflect a perfect personality.
Therefore, if a firm faith is there then one can cross over the toughest test by fire!
This is what we learn from the Katha. ‘Duryodhana’ took away everything. He gave the deadliest deadline to fulfil in the form of ‘Indraprastha’. ‘Yudhishthira’ still was able to construct an amazing palace in a completely arid land. That too was snatched away. He was cheated and misled by so many people but he had this firm faith that Lord Krishna is with us! This one faith, led the ‘Pandavas’ to their ultimate victory.
In spite of having everything, ‘Duryodhana’ couldn’t sleep at night whereas ‘Yudhishthira’, in spite of having nothing slept peacefully.
When your faith becomes so strong then no power can break it. This is a fact! The meaning of Bhakti is;
‘Bharoso dridha innha charannana kero ||’
Faith is the ultimate solution in the world!
|| Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj ||
श्री पुण्डरीक जी सूत्र (१८-०६-२०२३)
प्रतिकूलपरिस्थितौ अपि कुत्रचित् विश्वासं प्राप्य जीवने अतीव दिव्यतया अग्रे गच्छति । सर्वं दुष्टं भवेत्, परन्तु यदि भवतः भगवतः पादयोः दृढः विश्वासः अस्ति तर्हि दुर्गतेषु अपि भवतः सुखं कोऽपि हर्तुं न शक्नोति। यदि भवन्तः जीवने महता महत्त्वेन एतत् अभ्यासं स्वीकुर्वन्ति तर्हि जीवनं सुखदं भविष्यति।
एताः काः चिन्ताः सन्ति ? शोकः किम् ? समस्याः काः सन्ति ? जीवने कोऽपि अनुभवः न आगमिष्यति। बृहत्जनाः सन्ति ये बृहत्समस्यानां समाधानं अन्विष्यन्ति। सः अतीव सहजः तिष्ठति। समस्यानां बृहत्तमाः आगताः, तथापि ते दृढाः एव तिष्ठन्ति। यतः सः मन्यते यत् ‘रामः सर्वं कर्तुं शक्नोति परन्तु मम कदापि दुष्कृतं कर्तुं न शक्नोति’ इति। यदि एतत् वस्तु प्रबलं भवति तर्हि लघुवस्तूनि जीवने प्रभावं न कुर्वन्ति।
यस्य जीवने श्रद्धा नास्ति, सः व्याकुलः तिष्ठति। सः मां न पृष्टवान्, सः अस्मान् स्मितं कृत्वा पश्चात् न पश्यति स्म, गृहं गच्छन् जलस्य एकं काचम् अपि न याचितवान्। प्रत्येकं व्यक्तिः प्रत्येकं व्यवस्थां प्रति अतीव सहजतया स्वस्य सुखं नष्टं करोति। अतीव शीघ्रं नष्टं करोति।
सम्यक् स्मितं सम्यक् गन्धं च सिद्धव्यक्तित्वस्य प्रतीकम् ।
अत एव यदि जीवने अतीव स्थिरः विश्वासः तिष्ठति तर्हि बृहत्तमात् अग्नौ व्यक्तिः बहिः आगच्छति।
एतदेव वयं कथातः शिक्षेम। दुर्योधनः सर्वं गृहीतवान्। विश्वस्य बृहत्तमं मृतरेखां दत्तवती। इन्द्रप्रस्थ इति । युधिष्ठिरः ततः प्रासादं निर्मितवान् । सः पुनः अपहृतवान्। यः न वञ्चितवान्, परन्तु श्रीकृष्णः मया सह अस्ति इति दृढः विश्वासः आसीत्। एषा च प्रत्ययः पाण्डवान् अन्त्यपर्यन्तं नेतवान्।
सर्वं कृत्वा एकदा रात्रौ दुर्योधनः शान्तिपूर्वकं निद्रां कर्तुं न शक्नोति स्म, किमपि अभावेऽपि युधिष्ठिरः खर्राटं कृत्वा सुप्तवान् ।
यदा जीवने विश्वासः एतावत् प्रबलः भवति तदा कोऽपि तस्य भङ्गं कर्तुं न शक्नोति। एतत् वस्तु निश्चितम् अस्ति। इति भक्ति-अर्थः ।
एतेषु पादेषु दृढतया विश्वासं कुरुत।
विश्वासः जीवनस्य समाधानम् अस्ति।
.. परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।