||Shree Radharamanno Vijayatey||
Ganesh is the giver of all that is sacred or divine (Mangal), and Lord Vinayaka is the one who is worshipped first! When He circumambulated his parents, unanimously He was chosen as the leader amongst all the Devas. He is the foremost leader of all the ‘Ganas’!
If you desire leadership in life then you will have to become Ganesh first! All the sense organs of Lord Vinayaka are most developed! He possesses the longest nose! Thereby, He can smell even the faintest of odour!
When the Prime Minister of any country is elected, he must possess the splendour like Ganesh.
The long nose of Ganesh indicates that his spying network is very big and strong. He has large ears which means that he can hear the voice of the smallest individual. He has a large belly which signifies that he can digest the biggest of scorn or ridicule directed at him and can keep deep secrets within himself. His teeth, which are visible are very beautiful. ‘Incredible India’! The teeth which are seen outside and the ones which are helpful in eating are different.
From the point of nature, Ganesh with an elephant head and a huge body is the heaviest but his mode of conveyance is a mouse which is the smallest! This means that till the biggest can’t talk to the smallest, there cannot be lasting peace and harmony. In the society, till such time the one who holds the highest position remains disconnected with the last person standing, there cannot be any unity or harmony!
Ganesh is large bodied like an elephant so is unable to go everywhere easily, that is why he has joined hands with the smallest who can access every nook or corner.
Our elders also say that if you want to convey anything to Lord Ganesh just whisper it in the ear of the mouse! This is the Swaroopa of a true leader! The one who is accessible even by the smallest person. As we see in our country very commonly that people manage their affairs by ‘Jugad’!
To be able to reach a big man via a high-level contact is nothing great but the one who is accessible even to the smallest person is indeed commendable! Through a tiny little mouse one can reach Lord Ganesh! This shows His coordination and easy accessibility!
The Indian science is far more developed and advanced if understood correctly!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
गणेश मंगल दायक है और प्रथम पूजा है विनायक की। माता-पिता की परिक्रमा करी तो सभी ने उनको अपना नायक माना। सभी गणों के अधिष्ठाता गणेश।
अगर जीवन में लीडरशिप चाहिए तो गणेश होना पड़ेगा। विनायक की हर एक इंद्रिय सबसे ज्यादा विकसित है। नाक सबसे बड़ी। जिनके पास सामान्य से ज्यादा सूंघने की क्षमता हो।
जब किसी देश का प्राइम मिनिस्टर इलेक्ट हो तो उसमें गणेश जैसी आभा होनी चाहिए।
गणेश के पास नाक बड़ी है मतलब जिसके पास खुफिया विभाग ज्यादा बड़ा हो। जिसके कान बहुत बड़े हैं, जो छोटे से छोटे आदमी की आवाज सुन सकतासकता हो। जिसका पेट बहुत बड़ा है, जो बड़ी से बड़ी निंदा को बचा सकता है और बहुत कुछ पेट में रख सकता है। जिसके पास दिखाने वाले दांत भी बहुत बढ़िया है। इंक्रेडिबल इंडिया। दिखाने वाले दांत और खाने वाले दांत दोनों अलग-अलग है।
प्रकृति की दृष्टि से देखा जाए तो गणेश हाथी के रूप में सबसे बड़े हैं पर बैठते सबसे छोटे चूहे के ऊपर। सबसे बड़े का जब तक सबसे छोटे से संवाद नहीं होगा। समाज में सबसे ऊपर बैठने वाले व्यक्ति का, समाज में सबसे नीचे बैठने वाले व्यक्ति के साथ संबंध न हो तब तक बात नहीं बनेगी।
गणेश हाथी के रूप में है इसलिए सब जगह नहीं जा सकते उन्होंने उससे दोस्ती कर ली जो सब जगह घुस सकता है।
एक और बात कहते हैं बड़े बूढ़े- गणेश जी से कोई बात करनी हो तो चूहे के कान में कह दो। एक सफल नायक का यही स्वरूप है। जिसके पास छोटे संपर्क से पहुंचा जा सके। नहीं तो यह देश बहुत जगह जुगाड़ से चलता रहता है।
किसी बहुत बड़े संपर्क से किसी बड़े व्यक्ति के पास पहुंचना बहुत बड़े उन्नति की बात नहीं है, किसी छोटे साधन से किसी छोटे संपर्क से किसी बड़े व्यक्ति तक बात पहुंचाई जा सकती हो। एक चूहे से एक मूषक से गणेश तक बात पहुंच जाए। यही उनका तालमेल है।
भारतीय विज्ञान बहुत उन्नत है अगर उसे गंभीरता से समझा जाए तो।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
गणेशः शुभः प्रथमा पूजा विनायकः | यदा सः स्वमातापितरौ परितः भ्रमति स्म तदा सर्वे तं स्वनायकं मन्यन्ते स्म । गणेशः सर्वेषां गणानां अध्यक्षः ।
यदि जीवने नेतृत्वं इच्छति तर्हि गणेशः भवितुम् अर्हति। विनायकस्य प्रत्येकं इन्द्रियं सर्वाधिकं विकसितं भवति। नासिका बृहत्तमा अस्ति। येषां सामान्यापेक्षया घ्राणशक्तिः श्रेष्ठा भवति।
यदा कस्यचित् देशस्य प्रधानमन्त्री निर्वाचितः भवति तदा तस्य गणेशवत् आभा भवितुमर्हति।
गणेशस्य विशाला नासिका अस्ति, तस्य अर्थः अस्ति यत् तस्य बृहत् गुप्तचरविभागः अस्ति। यस्य सुबृहत्कर्णाः सन्ति, यः लघुतमस्य अपि स्वरं श्रोतुं शक्नोति। यस्य उदरः अतीव विशालः अस्ति, यः बृहत्तमं आलोचनामपि रक्षितुं शक्नोति, तस्य उदरे बहु किमपि स्थापयितुं शक्नोति। यस्य अतीव उत्तमाः दर्शयन्तः दन्ताः अपि सन्ति। अविश्वसनीय भारत। दन्तदर्शनं दन्तभक्षणं च भिन्नम् ।
प्रकृतेः दृष्ट्या यदि दृष्टः तर्हि गणेशः गजरूपः बृहत्तमः अस्ति किन्तु लघुतममूषके उपविशति । यावत् ज्येष्ठः कनिष्ठेन सह संवादं न करोति। यावत् समाजे शीर्षस्थाने उपविष्टस्य व्यक्तिस्य समाजे अधः उपविष्टेन व्यक्तिना सह सम्बन्धः न भवति तावत् कार्याणि न सम्भवन्ति।
गणेशः गजरूपः अस्ति अतः सः सर्वत्र गन्तुं न शक्नोति, अतः सः सर्वत्र गन्तुं शक्नुवन्तं मित्रतां कृतवान्।
वृद्धाः एकं अपि वदन्ति – यदि भवन्तः गणेशजी इत्यनेन सह वार्तालापं कर्तुम् इच्छन्ति तर्हि मूषकस्य कर्णे एव वदन्तु। सफलस्य वीरस्य एषः स्वभावः । यत् अल्पसंपर्कद्वारा प्राप्तुं शक्यते। अन्यथा अयं देशः बहुषु स्थानेषु जुगाडेषु धावति एव ।
अतीव बृहत् सम्पर्कात् बृहत् व्यक्तिं प्राप्तुं महती प्रगतेः विषयः नास्ति, लघु सम्पर्कात् बृहत् व्यक्तिं प्रति केनचित् लघुसाधनेन सन्देशः प्रसारयितुं शक्यते। एकमूषकात् एकमूषकपर्यन्तं गणेशं प्रति सन्देशः गन्तव्यः। एषः एव तेषां समन्वयः ।
भारतीयविज्ञानं गम्भीरतापूर्वकं अवगन्तुं चेत् अतीव उन्नतम् अस्ति।
॥परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज॥