श्री राधारमणो विजयते
केवल अभिमान में इस संसार के ग्रह अंधकूप में गिरने से तो बढ़िया है कि व्यक्ति अपने जीवन में भक्ति को भी एक श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कराए।
किसने मना किया भारत ने कब मना किया कि आप एक अच्छे प्रोफेशनल न बनिए? भारत ने कब मना किया कि आप एक अच्छे पर्सन न बनिए? भारत ने कब मना किया कि आप एक अच्छे डाॅक्टर, एक अच्छे इंजीनियर, एक अच्छे successful व्यापारी न बनिए?
उस सबके सूत्र भी हमारे शास्त्र देते हैं पर उसके साथ-साथ ये भारत बहुत स्वीट प्रपोजल सबके सामने रखता है इन सबके साथ-साथ आप थोड़े से स्पिरिचुअल भी बन जाइए। वो सम्भावना भारत देश में घटित होती है।
।।।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
To fall in the dungeon of the world affected by the egoistic pride, it is far more commendable to accord an important place to Bhakti in life.
Who has stopped you and especially in India no one has stopped you from becoming a good professional? When has India stopped you from becoming a good individual? When has anyone stopped you from becoming a good engineer, a proficient doctor or a successful businessman?
Our scriptures provide us with sutras for all attaining all these but side by side the ‘Bhaarteeya Vaangmaya’ gives this suggestion that please don’t overlook spirituality in life! India provides everyone with this possibility!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
केवलं अभिमानस्य कारणेन अस्य जगतः अन्धकारगर्ते पतितुं न अपि तु जीवने भक्तिं उच्चतरं स्थानं दातुं श्रेयस्करम्।
केन निषिद्धम् ? भारतेन भवतः उत्तमव्यावसायिकत्वं कदा निषिद्धम्? भारतेन भवतः सत्पुरुषत्वं कदा निषिद्धम् ? भारतेन भवतः उत्तमवैद्यः, उत्तमः अभियंता, उत्तमः सफलः व्यापारी भवितुं कदा निषिद्धः?
अस्माकं शास्त्राणि अपि तत्सर्वस्य स्रोतांसि ददति, परन्तु तत्सहितं भारतं सर्वेषां पुरतः अतीव मधुरं प्रस्तावम् अस्थापयति यत् एतेन सर्वैः सह भवन्तः किञ्चित् आध्यात्मिकः अपि भवेयुः। सा सम्भावना भारते भवति।
परमाराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज.