||Shree Radharamanno Vijayatey||
The Bhagwad Gita says; ‘Pattram pushppam phallam ttoyam’|| Reading this, how do we react? We leave home, go to the market thinking, let me get some fruits and flowers. Going to the florist, we buy a basket full of beautiful flowers like, ‘Shrees, Champa, Paatil, Juhi, Ketaki, Vakul, Maulshri’, etc.
How much do I pay? Two hundred rupees! Now, if you offer flowers worth two hundred, it’s very good but you will need to engage in material pursuits in order to earn money. If you want to buy flowers, you need money and in order to get money, you will have to engage in material pursuits. But please do one thing, there is this profound thought;
Just imagine yourself to be the flower! To buy flowers, money is needed but to become a flower, Bhajan is needed. When you have Bhajan, you will automatically become a flower!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
भगवत् गीता में कहा- पत्रम् पुष्पम् फलम् तोयम्।। ये पढ़ कर हम क्या करते हैं ? जाएंगे घर से सोचेंगे चलो बाजार चले फल पुष्प खरीद कर लाते हैं। माली के पास जाते हैं बढ़िया पुष्प खरीदते हैं श्रीस चम्पा पाटिल जूही केतकी वकुल मौलश्री बढ़िया फूल से टोकरी भर ली।
अब कितने का हुआ? पता चला दो सौ रुपये का हुआ। फूल चढ़ाना है दो सौ रुपैया का फूल है अच्छा ही है पर अब धन के लिए दुनियादारी करनी पड़ेगी। बाजार से फूल लाओगे तो धन चाहिए और धन के लिए ही दुनियादारी है पर एक काम करो एक सर्वोत्तम भावना है
ऐसा भी तो हो सकता है तुम स्वयं फूल बन जाओ। फूल लाने के धन चाहिए फूल होने के लिए भजन चाहिए। जब भजन आपके पास होगा तो तुम स्वयं ही फूल हो जाओगे।
॥परमाराध्य पूज्य श्रीसद्गुरु भगवान जु ॥
Shingar darshan 20/04/2024