
हमारे घर में कभी कोई संत भिक्षा लेने आए, क्या कभी ऐसा माहौल बनाया? व्यापारिक आराम से आ सकते हैं, पारिवारिक आराम से आ सकते हैं, दोस्त यार आराम से आ सकते हैं क्या ऐसा महौल है कि कभी कोई संत चलता हुआ आराम से आपके घर आ सके कि चलो इसके घर में वो वैष्णवीय चिन्ह हैं।
कम से कम भारत के सनातन धर्म के घर से इतनी अपेक्षा तो जरूर रखी जा सकती है। मैं निवेदन करूँ आधुनिक से आधुनिक घर बनाइए कोई चिंता की बात नहीं है। ठाकुरजी कृपा करें। उसमें कुछ विषयों का ध्यान रखिए अपने घर के मन्दिर को बहुत मर्यादित रखिए।
तीन चीज अगर ठीक है तो आपका घर श्रेष्ठ है।
पहली बात घर का मन्दिर ठीक हो, दूसरी बात घर की रसोई ठीक हो और तीसरी बात घर का प्रवेश द्वार ठीक हो। ये तीन चीज ही संत देखता है। बस आपके ड्राइंग रूम बेडरूम से किसी को मतलब नहीं है।
एक महात्मा ये तीन चीज का ही विचार करे।
हमारे महाराज श्री जिसके घर जाते तुरंत कहते- भैया मालिक का तो दरशन कराओ।
कैसा द्वार हो? द्वार कि सबसे बड़ी शोभा यही है कि वहाँ किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को आने में संकोच न हो। ऐसा द्वार हो यज्ञशाला, गौशाला ये तो बड़ी चीजें हैं आज के जमाने में कौन समझे? फिर भी सम्भव हो तो अपने घर की द्योढ़ी पर कम से कम एक छोटी यज्ञशाला जरूर बनाइए। इसमें कोई पाबंदी नहीं है। छोटी सी परमानेंट। और मुख्य मुख्य दिनों में कभी अवसर लगने पर हम छोटा सा यज्ञ करे।
योग और यज्ञ ये दो चीज़ ही सनातन धर्म की साधना है। भक्तियोग भक्तियज्ञ, ज्ञानयोग ज्ञानयज्ञ। योग और यज्ञ दो ही चीज तो है सन्यासी ये दो ही चीज करता है योग और यज्ञ। गृहस्थी भी यही करता है। सबसे पहले शादी करनी हो तो योग देखा जाता है फिर उसके बाद यज्ञ किया जाता है।
योग और यज्ञ यही सनातन धर्म की साधना है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
