||Shree Radharamanno Vijayatey||
Any picture we see, impacts our mind. Painting acts like a therapy for the mind! Any misrepresented or a disorderly picture, impacts the mind negatively. A violent depiction will create a violent impact on the mind.
Please do not put up any such painting or a picture which you will have to cover with a cloth or mask it because of its inappropriacy! A picture should be such which delights a Sadhu!
It can be the portrait of your Guru or a beautiful painting of Govind! There are so many Vaishnavas, when you go to their houses, you will notice Guru and Govind all around! Every wall is adorned with either a picture of the Guru or Shree Govind! How wonderful it is! A true picture is this, rest all is odd or strange!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
कस्यापि चित्रस्य मनसि महत् प्रभावः भवति। चित्रकला मनसः चिकित्सा अस्ति। अव्यवस्थितचित्रस्य मनसि महत् प्रभावः भवति । चरमानाम् किं प्रभावः भवति।
गृहे तादृशं चित्रं कदापि न लम्बयन्तु यत् तत् पटेन आच्छादनीयं भवति। चित्रं तादृशं यत् साधुः तत् दृष्ट्वा सुखं अनुभवति स्म।
गुरुचित्रं वा गोविन्दस्य चित्रं वा भवेत्। एतादृशाः वैष्णवः सन्ति येषां गृहाणि यदि गच्छसि तर्हि गुरुगोविन्दः सर्वत्र विकीर्णः अस्ति। प्रत्येकं भित्तिषु गुरुगोविन्दयोः चित्राणि सन्ति। किं अद्भुतम् ! चित्रं समानं सर्वं विचित्रं च।
॥परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक जी महाराज।।
किसी भी चित्र का मन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। पेंटिंग मन की थेरेपी है। किसी अव्यवस्थित चित्र का मन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अति उग्र कितना प्रभाव डालते हैं।
कभी भी घर में ऐसा चित्र ना लगाना कि वो चित्र कपड़ा से ढकना पड़े। चित्र तो वह है, साधु देखकर जिसे खुश हो जाए।
गुरु का चित्र हो गोविंद का चित्र हो। ऐसे ऐसे वैष्णव है जिनके घर चले जाओ तो सब जगह गुरु गोविंद बिखरे पड़े हैं। हर एक दीवार पर गुरु और गोविंद का चित्र लगा हुआ है। कितनी बढ़िया बात है। चित्र तो वही है और सब विचित्र है।
॥परमाराध्य पूज्य श्री सद्गुरु भगवान जी॥