श्री राधारमणो विजयते ||
ज्ञान कर्म आदि के घूँघट में भक्ति कि सुन्दरता को सजा के रखो। कोई भोगी आ जाए कोई योगी आ जाए कोई आत्मदर्शी आ जाए तो घूँघट डाल कर रखो और गोविन्द आ जाए तो उठा कर फेंक दो।
चिंता कि बात नहीं है घूँघट तुम उठा कर फेंकोगे तो तुम्हारा उत्साह होगा पर तुम पड़े रहने देना वो उठा कर फेंक देगा तो अनुग्रह हो जाएगा।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Keep the beauty of your Bhakti adorned by the veil of Gyan and Karma. If any Bhogi or any Yogi or any self-realised person comes, pull down the veil and when Shree Govind comes, just unviel yourself.
There is nothing to worry, if you unviel yourself you will feel unsecured but if you leave it on then He himself will unviel you and you will be blessed by Him!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||