श्री राधारमणो विजयते
महाभारत जयशास्त्र है रामायण विजयशास्त्र है। भीतर के युद्ध को जीत लेना विजय है। कुछ ऐसा दुर्योधन में भी है जो सीखा जा सकता है कुछ ऐसा युधिष्ठिर में है जो छोड़ा जा सकता है मतलव न युधिष्ठिर हीरो है न दुर्योधन विलन है। परखने की बात इतनी सी है देखना बस इतना है कि परसंटेज कहाँ कितनी है सकारात्मकता युधिष्ठिर में कितनी है नकारात्मकता दुर्योधन में कितनी है
इस व्यवस्था से मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि एक रावण आपके भीतर बसता है और एक राम भी आपके भीतर बसता है।
कहीं भी आप खड़े हों राम और रावण सतत् युद्धशील हैं। दो विचार। कथा सुनते वक्त रावण रिबैलियश हो रहा होगा राम स्वीकार कर रहा होगा। दोनों कि अपनी स्थिति है। युद्ध है चलता रहे कोई हानि नहीं। बस प्रश्न इतना सा है किस युद्ध में जीतेगा कौन?
हमारे हर एक्शन में जो रिजल्ट निकल कर आता है उससे पता चलता है कि इस समय रावण जीता था कि राम जीता था। जीतेगा वही जो ज्यादा बलवान होगा जिसमें ज्यादा सामर्थ होगी जिसे जितनी फ्रीड मिलेगी वह जीतेगा।
यह कथा किसी और कारण से नहीं हो रही बस हम सबके अंदर रह रहे राम को सामर्थ्य वान बनाने के लिए हो रही है। हम सबके भीतर के राम को जिताने के लिए हो रही है और ऊर्जावान बनाने के लिए हो रही है।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
The Mahabharata is the ‘Jai Shastra’ whereas Ramayana is the ‘Vijay Shastra’. To win the battle within is Vijay or victory in the truest sense. Even Duryodhana has certain good qualities, which one can learn and Yudhishthira has some bad traits which one should discard. It means that neither Yudhishthira is a hero nor Duryodhana a villain. What we need to do or learn is what is the percentage of positivity in Yudhishthira and negativity in Duryodhana.
Going forward, I would like to say that both Ravana and Rama reside within us!
One might be anywhere in any situation, the battle between Rama and Ravana is always raging. There are two opinions! While hearing the Katha, Ravana will be rebellious where as Rama is receptive. Both have their individual positions. If the war is on but the question arises as to who will be victorious?
The result which comes out of each and every action proves whether Rama won or Ravana won? The one who is more powerful or the one who is more resourceful will win!
The sole purpose of this Katha is to embolen the Rama residing within us. To ensure Shree Rama’s victory and to add vigour!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||