श्री राधारमणो विजयते
वस्तु की प्रधानता, वस्तु की उपरामता और सीधी बात कहूँ वस्तु की विशेषता तक को और ऊपर और नीचे कर देने की सामर्थ्य उसकी भूमिका में होती है। क्योंकि वही एक ऐसा प्रथम माध्यम है जो हम आप सबके भीतर वस्तु के प्रति आकर्षण पैदा करता है।
जब तक आकर्षण नहीं होगा तब तक आप संकर्षण की कृपा कैसे प्राप्त करोगे? केवल तर्स में रहोगे, उपकर्श में रहोगे और सारे जीवन को कर्कश और नीरस कर लोगे।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
The importance of anything or the abirritation or to describe in simple words to make anything special or extraordinary or to change the complexion totally depends upon its foundation or the prolegomenon. Because it is the only medium which creates attraction towards that particular thing.
Till such time there is no attraction, how will you be blessed with traction or Sankarshana? If you just remain in pitiable state or an ablator then you will make your life miserable and worthless or Neeras!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
तस्य भूमिका वस्तुनः प्राधान्ये, वस्तुनः श्रेष्ठतायां च सरलतया वक्तुं शक्यते यत् वस्तुनः गुणानाम् उपरि अधः वा अधिकं परिवर्तनं कर्तुं क्षमता अस्ति यतः अस्माकं सर्वेषां अन्तः वस्तुं प्रति आकर्षणं जनयति प्रथमं माध्यमम्।
यावत् आकर्षणं न भविष्यति तावत् भवन्तः कथं आकर्षणप्रसादं प्राप्नुयुः। केवलं करुणया, दुःखेन च जीविष्यसि, सर्वं जीवनं कठोरं जडं च करिष्यसि।
॥परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्त: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज॥