श्री राधारमणो विजयते
किसी स्त्री में माता उतर कर आई है बहुत अच्छी बात है पर कभी-कभी हमें अपनी स्वयं की माता में भी माता का दर्शन कर लेना चाहिए। वास्तविक बात ऐसी है धनुष बाण हो कोई अष्टभुजी हो इस रूप में स्त्री कोई आपके सामने प्रकट हो जाए तो आप उसको माँ कहोगे यह जगदंबा का रूप है पर संसार की हर स्त्री में नवदुर्गा का स्वरूप भी तो देख सकते हो।
दोनों हाथ ऊपर हो ये श्रीचैतन्य महाप्रभु का रूप है पर करुणा महाप्रभु का स्वरूप है। धनुषबाण और राजकुमार का वेश राम का रूप है धर्म राम का स्वरूप है। बन्दर की तरह मुख और गदा हाथ में हो ये हनुमान का रूप है पर सेवा हनुमान का स्वरूप है।
जब आप कहीं सेवा में होते हैं तब आपमें हनुमान का प्रवेश होता है। केवल फुदकने से नहीं। जब आप कहीं निःस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं तब उसमें क्यों नहीं हनुमान का दर्शन कर लेते..?
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
If a woman is possessed by the spirit of Mataji, it is very good but we should also learn to do the Darshan of Mataji in our Mother. The fact is that if a feminine figure appears before you with eight arms, holding a bow and arrows, you will address her as the Divine Mother but it should also be possible to do her Darshan in every woman in the world.
Both arms outstretched above is the Swaroopa of Shree Chaitanya Mahaprabhuji. A princely attire holding a bow and arrows is Shree Rama’s appearance or Vesha but His Swaroopa is Dharma. A monkey face with a mace in hand is Shree Hanuman’s Roopa but Sewa is the Swaroopa.
When you are performing a Sewa, at that time the quality of Shree Hanuman is present in you. Merely jumping around is not only the trait! If someone is performing selfless service, then why can’t you do the darshsan of Shree Hanuman in that person??
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||