जीवन में अगर विकसित होना है तो अपने विश्वास को सुदृढ़ कर लीजिए। बहुत सुदृढ़ कर लीजिए। आपका फेथ पक्का हो। जहाँ भी हो बस पक्का हो। अगर कोई व्यक्ति विश्वास तोड़ता है तो विश्वास कमजोर नहीं है, वह व्यक्ति कमजोर है जो आपकी ऊर्जा को धारण नहीं कर सका।
कभी-कभी कोई पिता जी महाराज जी से कोई कहता कि महाराज जी! हमने उस पर विश्वास किया और वह धोखा देकर चला गया, ये ले लिया, वो ले लिया। पिता जी महाराज कहते- बड़े सस्ते में निपट गया। जाने दो आगे बढ़ो।
पूरे जीवन को विकसित करना हो तो उस विश्वास के आधार पर चलिए।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
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|| Shree Radharamanno Vijayatey ||
If you want to blossom in life then kindly make your faith strong. Make it firm or unshakeable! Your faith should be rock solid! Wherever you repose it, it should be firm. If someone breaks your trust then be sure that faith is not weak but the one who has forsaken it is weak because the individual could not tolerate or handle its energy.
Someone once asked my ‘Pitashri Maharajji’ that, ‘Maharajji! We trusted that person, he belied our trust and took this away, took that away!’ ‘Pitaji Maharaj’ would say, ‘You were lucky that you got away so cheaply. Forget it and move forward’!
If you want to grow and blossom fully in life then move ahead on the basis of your firm faith!
|| Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj ||
श्री पुण्डरीक जी सूत्र (२३-०६-२०२३)
यदि भवन्तः जीवने वर्धयितुम् इच्छन्ति तर्हि स्वस्य विश्वासं दृढं कुर्वन्तु। अतीव दृढं कुरुत। भवतः श्रद्धा दृढा भवतु। यत्र यत्र भवन्तः सन्ति तत्र तत्र केवलं निश्चयं कुर्वन्तु। यदि कश्चन व्यक्तिः विश्वासं भङ्गयति तर्हि विश्वासः दुर्बलः नास्ति, सः व्यक्तिः दुर्बलः अस्ति यः भवतः ऊर्जां धारयितुं न शक्तवान् ।
कदाचित् पिता महाराज जी को कोई कहता कि महाराज जी! वयं तस्मिन् विश्वासं कृतवन्तः सः च वञ्चनं कृत्वा गतः, एतत् गृहीतवान्, तत् गृहीतवान्। पिता जी महाराज कथयति – अतीव सस्तेन निवसति स्म। अग्रे गच्छतु
यदि भवन्तः स्वस्य सम्पूर्णं जीवनं विकसितुं इच्छन्ति तर्हि तस्य प्रत्ययस्य आधारेण चरन्तु।
परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।