श्री राधारमणो विजयते
संत के पास क्या है? क्या उसके पास देखना है? क्या उसके पास चलना है? क्या उसके पास बोलना है? क्या उसके पास लिखना है? उसके पास कुछ नहीं है हमारे सद्गुरु सूरमा के पास जो बैठा है कुछ नहीं वो बस चुपचाप बैठे हों हाथ में माला लेकर। उनके साथ जो दृष्टि मिलाकर बैठा हो उससे पूछो क्या हुआ? बोले- कुछ नहीं एक ही चीज।।
आज तो आनन्द आनन्द।।
भगवान के पास क्या मिला? कुछ नहीं था एक ही चीज मिली आनन्द आनन्द।।
जो श्रीठाकुरजी से मिलकर आया हो एक प्रमाण है मस्तक पर तिलक लग रहा हो वृंदावन में हो। एक विषेश प्रकार का तिलक लग रहा हो तो देखते ही आदमी समझ जाएगा बिहारी जी दर्शन करके आए हो? एक सुगन्ध है।
राधारमण जी से कोई आ रहा हो तो ज़्यादा कुछ नहीं देखना बाहर से देखना अगर उसके हाथ में कुलिया हो तो राधारमण जी आया है। और एक बात और कहूँ उसके होंठों पे हँसी और आँखों में नमी हो प्रेम में डूबा हो। ऐसा खोया-खोया सा दिखे। यही उसकी पहचान है कि ये उसका रसिक है।
ठाकुरजी से मुलाकात का यही प्रमाण है मिटे सभी दुःख द्वंद।।
अगर आप राधारमण जी का दर्शन करके आ रहे हो और उसके बाद भी बाहर बोलो अरे बड़ी समस्या है बड़े दुःख हैं बड़े झंझट चल रहे हैं जीवन में बड़ी परिस्थितियाँ हैं। इसका मतलब तुम अभी राधारमण जी को देखकर ही नहीं आए हो। मुलाकात हुई ही नहीं है। कुछ हुआ ही नहीं है। वृन्दावन में प्रवेश ही नहीं हुआ है।
ये प्रमाण है अगर गरम शरीर है तो बुखार जरूर है अगर जीवन में अभी भी दुख का द्वंद्व का चिंतन है इसका मतलब वृन्दावन में प्रवेश ही नहीं हुआ है। राधारमण जी से मुलाकात का एक ही प्रमाण है-
आज तो आनन्द आनन्द।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
What does the Saint have? What should one look for near him? Should one visit a Saint? What should one speak in front of him? What to write to him? The Saint or the Sadguru has valour in the form of the Mala or the Sumirni in his hand and Maun! The one who has had the good fortune of peeping into his eyes, ask him what has he experienced? He will say just one thing-
‘Aaj toh Anand Anand’||
What do you get from God? Nothing else but Anand!
In Vrindavan, the one who has done the darshsan of Shree Thakurji will have the Tilak on the forehead. When you see a particular type of Tilak, you will immediately understand that the person is coming after doing the darshsan of Shree Bihariji! There is a particular fragrance surrounding the person?
If a person is having a ‘Kulliya’ in hand, you will immediately understand that he/she is coming from Shree Radha Ramanji! One more noticeable feature is that there will be a divine smile playing on the lips, the eyes will be moist and the person will be immeresed in Prema. He/she will seem lost! This is the sign of being a Rasika!
The proof that you have met Shree Thakurji is, ‘Mittey sabhi dukha dwand’||
Even after doing the darshsan of Shree Radha Ramanji you say that your life is full of problems, there is misery, many issues are bothering you, the situation is not very comfortable and so on. This means that you have not done Shree Radha Ramanji’s Darshan! You haven’t been able to meet Him! You have not entered Vrindavan yet!
If the body feels warm then it means you have fever, similarly, if complains or problems plague your mind, it goes to show that you have not entered Shree Dham Vrindavan. The simple proof that you have met Shree Radha Ramanji is;
‘Aaj toh Anand Anand’||
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
साधुस्य किम् अस्ति ? किं तस्य किमपि द्रष्टव्यम् अस्ति ? किं गन्तुं मार्गः अस्ति ? किं तस्य किमपि वक्तव्यम् अस्ति ? किं तस्य किमपि लेखनीयम् अस्ति ? तस्य किमपि नास्ति। अस्माकं सद्गुरुसुर्मणा सह उपविष्टस्य किमपि नास्ति। सः केवलं हस्ते मालाम् आदाय शान्ततया उपविष्टः अस्ति। तस्य सह नेत्रसम्पर्कं कृत्वा उपविष्टं व्यक्तिं पृच्छतु, किं जातम्? सः अवदत् – न किमपि, केवलम् एकमेव ।
अद्य आनन्दः सुखं च अस्ति।
ईश्वरः किं प्राप्तवान् ? किमपि नासीत्, एकमेव वस्तु प्राप्तम्, आनन्दः आनन्दः च।
श्रीठाकुरजीं मिलितुं यः आगतः सः तस्य शिरसि तिलकं प्रयोजयित्वा वृन्दावने अस्ति इति प्रमाणम्। यदि विशेष प्रकारस्य तिलकं प्रयोज्यते तर्हि तत्क्षणमेव व्यक्तिः अवगमिष्यति यत् बिहारी जी दर्शनार्थम् आगतः अस्ति? तत्र गन्धः ।
यदि कश्चित् राधारमण जीतः आगच्छति तर्हि बहु न पश्यतु, बहिः पश्यतु यदि तस्य हस्ते पोर्टरः अस्ति तर्हि राधारमण जी आगतः। एकं च वदामि, तस्य अधरे हास्यं, नेत्रयोः अश्रुपातः च भवेत्, सः प्रेम्णि मग्नः भवेत्। एतावत् नष्टः दृष्टः। एषा तस्य तादात्म्यं यत् एषः एव तस्य कान्तः।
इति ठाकुरजीसमागमस्य प्रमाणम्, सर्वे शोकाः विग्रहाः च मेटिताः।
यदि भवान् राधारमणजीं दृष्ट्वा आगच्छन्ति तदनन्तरम् अपि बहिः वदतु, महती समस्या अस्ति, महतीः दुःखाः सन्ति, जीवने महतीः कष्टाः प्रचलन्ति। राधारमण जीं दृष्ट्वा अद्यापि न आगत इत्यर्थः । समागमः न अभवत्। न किमपि घटितम्। वृन्दावनं न प्रविष्टाः।
एतत् प्रमाणं यत् यदि शरीरं उष्णं भवति तर्हि अवश्यमेव ज्वरः भवति। यदि अद्यापि जीवने शोकद्वन्द्वस्य चिन्तनं वर्तते तर्हि वृन्दावनं न प्रविष्टमित्यर्थः । राधारमण जी- .
अद्य आनन्दः सुखं च अस्ति।
परमाराध्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।।