श्री राधारमणो विजयते
चिंतन समाधान है चिंता समस्या है। चिंता अविश्वास का गहरा प्रतीक है और चिंतन विश्वास की पूर्णता है।
जब अविश्वास होता है तभी चिंता होती है। जब जिंदगी में निर्णय नहीं होता है तभी चिंता होती है और जब विश्वास गहरा होता है और गोविंद प्राप्ति का निर्णय हो जाता है तभी आप चिंतन तक पहुँच जाते हैं।
किसी ने विदेश में हमसे प्रश्न किया- एक लाइन में इसका मतलब बता दीजिए; तो हमने एक दृष्टांत के साथ उसको इसका मतलब बताया- व्हाट टू कुक? यह चिंता है, हाउ टू कुक? यह चिंतन है।
क्या बनाऊँ? अभी जब यही बात का निर्णय नहीं हुआ तो तुम चिंताओं में पड़े रहोगे पर जब यह पता है कि क्या बनाना है और उसे कैसे बना दूँ, और क्या सजा दूँ, क्या डाल दूँ और कैसे उसके स्वाद को आगे बढ़ा दूँ? यह चिंतन है।
अभी दुनिया को संभालना है कि अभी कृष्ण को संभालना है इसी अपवाद में पड़े हुए हो तो आप चिन्ताओं में ही पड़े रहोगे पर
जिस दिन इस विश्वास को धारण कर लोगे कि हम दुनिया के तो हैं ही नहीं।
जीवेर स्वरूपे होय नित्य कृष्णदास।।
जब आप इस बात को अनुभूत कर लोगे की क्या आप केवल श्रीकृष्ण के दास हो और फिर जब उनकी प्राप्ति का प्रयास करोगे तो फिर चिंता से चिंतन की स्थिति तक पहुँच जाओगे।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Chintan is the solution whereas Chinta or worry is a problem. Worry is the sign of disbelief but Chintan is the sign of complete trust!
When one lacks in trust then there is worry. When there is indecisiveness in life then one is besotted with worries but when one has an unshakeable faith this gives rise to the decision of attaining Shree Govind and the person enters into the realm of Chintan.
Someone asked me this question abroad – Please give me the answer in one sentence; to which I answered with this example- What to cook? Is a worry and how to cook? Is Chintan!
What should I prepare? When this is not yet decided then you will be immeresed in worries but when you know what to prepare, how to make or decorate it or what should I put into it to make it more tasty and delicious! This is Chintan!
Whether you need to take care of the world or want to smoothen your path to attain Shree Krishna, if you are dilly dallying listlessly, you will be sucked into the quagmire of worries. But;
The day you decide this firmly that you don’t belong to the world;
‘Jeever swaroop hoye nitya Krishna das’||
When you have experienced this that you are just the humble servant of Shree Krishna, then you won’t worry and you will crossover into the sphere of Chintan.
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||