एक श्रेष्ठ परिवार में चार चीजें जरूर एक साथ करिए। पहली चीज दिन में कम से कम भोजन एक साथ करिए। एक बार तो कम से कम साथ में बैठकर सब। दूसरी बात कहूँ भजन साथ करिए। भोजन और भजन ऐसी चीजें हैं जहाँ कई बार बड़े-बड़े मन मोटाव समाप्त हो जाते हैं।
भोजन साथ करिए, भजन साथ करिए और तीसरी बात महीना 2 महीना वर्ष में कभी कभी भ्रमण एक साथ करिए। और चौथी चीज भाष्य।
भाष्य का अर्थ होता है जब घर में कोई महत्वपूर्ण उत्सव हो, किसी का ब्याह है, किसी का कुछ है तो सब कोई साथ मिलकर उस उत्सव में महत्वपूर्ण निर्णय ले लीजिए। अब करो चाहे वो जो ठीक लग रही हो वो बात दूसरी है पर मत सबसे ले लीजिए।
पर भोजन, भजन, भ्रमण के बाद ही भाष्य कीजिएगा नहीं तो भाष्य हो ही नहीं पाएगा। विवाद ही होगा। बैठे थे सलाह लेने, उठे तो एक दूसरे की खोपड़ी फोड़ कर।
ये चार विषय अत्यंत प्रधान हैं। रोज का भोजन साथ, हफ्ते में ही सही भजन साथ, महिना में ही कम से कम एक बार भ्रमण साथ। कहीं भी थोड़ी देर साथ में चले गए पार्क का ही चक्कर मार आये और वर्ष में एक बार भाष्य साथ हो तो परिवार का सामंजस्व बना रहता है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।