
श्री राधारमणो विजयते
किसी भी सूत्र से किसी का भी शोषण नहीं होना चाहिए।
ऐसा तो करना ही पड़ेगा नहीं तो तुम्हारी दुर्गति होगी। हो जाए कोई बात नहीं डरते किस बात से हो?
धर्म वो नहीं है जो डराता है धर्म वो है जो बल देता है। डराने वाला धर्म नहीं हो सकता। जिस धर्म को तुम डर कर करोगे वहाँ रस मिल ही नहीं सकता। भय नही होना चाहिए।
बहुत सारे लोग डर जाते हैं। महाराज जी माला छूट गई अब क्या करें? अरे फिर से पकड़ लो। डरते किसलिए हो? डरना नहीं चाहिए। डरने वाला व्यक्ति जीवन में विकास नहीं कर पाता है। धर्म निर्भय करता है। अकुतो भयः कुतोऽपि भयम् नास्ति।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
II Shree Radharamanno Vijayatey II
No sutra should be used to exploit someone. Like saying that you have to do this or else you will go to hell! If it be so then so be it, there is no need to be scared. That which scares you is not dharma, instead, dharma emboldens you! If you follow any Dharma out of fear you shall never get rasa! There should be no fear at all!
Many people are scared all the time. Maharajji, the Mala dropped from my hand, what to do? Just pick it up, what is there to be so scared? Don’t be afraid all the time! A person who is always afraid will never be able to progress or grow! Dharma make you fearless! ‘Akuto bhayaha: kutoapi bhayam naasti||’
II Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj II
न कश्चित् केनचित् प्रकारेण शोषणं कर्तव्यम्।
भवता एतत् कर्तव्यं भविष्यति अन्यथा भवतः विपत्तौ भविष्यति। किमपि भवतु, किं भयं भवतः ?
धर्मः न तद् भयङ्करः, धर्मः बलप्रदः। भयङ्करधर्मः न भवितुमर्हति। यस्मिन् धर्मे भवन्तः भयात् आचरन्ति तस्मिन् रुचिः न भवितुम् अर्हति। भयं न भवेत्।
बहु जनाः भीताः भवन्ति। महाराज जी, मया माला चूकिता, अधुना किं कर्तव्यम्? हे पुनः धारयतु। किमर्थं भयभीतः असि ? भयं न कर्तव्यम्। भयभीतः पुरुषः जीवने प्रगतिम् कर्तुं न शक्नोति । धर्मः निर्भयं करोति। अकुतो भय: कुतोऽपि भयं नास्ति।
~परमाराध्य: पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज
