श्री राधारमणो विजयते
अपनी-अपनी तथाकथित परम्परा के अनुसार व्यक्ति को निश्चित रूप से ये क्रम बना लेना चाहिए कि वो भोजन से पहले प्रार्थना करे।कम से कम वो प्रार्थना ही उसको मजबूर कर देगी सात्विक भोजन खाने के लिए। सामने मदिरा रखी होगी तो राम याद आ सकता है क्या ?
रसोई को शुद्ध करना है तो ये बहुत बड़ी गुप्त बात है घर में नियम बनाइए सबसे पहले थाली आते ही आचमन करके एक बार जैसा गुरुजनों ने मंत्र दिया अगर कोई मंत्र न हो तो एक बार राम राम कृष्ण कृष्ण कह दो या सबसे सहज
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
श्रीराधारमण लाल की जय
महाप्रसाद कि जय ! कहकर आरोगना शुरू करो। ये प्रार्थना ही कई बार मजबूर कर देगी कि थाली में कुछ गलत न हो। यहाँ से शुरू करो। नाम का असर पड़ता ही है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey ||
Any tradition one may follow, as a rule one should make it a practice to pray before taking a meal. If not anything else, just the prayer will ensure that the food being taken is Sattvik. If there is glass of wine in front, will you remember to pray?
If you want to keep the kitchen pure I will share a secret, please make it a rule that the moment your food is served, if your Precetors have given a mantra then it’s fine, otherwise just say Rama Rama or Krishna Krishna just once or the easiest thing is;
Harey Krishna Harey Krishna Krishna Krishna Harey Harey|
Harey Rama Harey Rama Rama Rama Harey Harey||
Shree Radha Raman Lal ki Jai, Mahaprasad ki Jai!
Utter it once and start eating. This prayer itself will make sure that nothing wrong or unethical comes on your plate. Start from here. The Divine Name is bound to have an affect.
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
स्वस्य तथाकथितपरम्परानुसारं भोजनात् पूर्वं प्रार्थनां अवश्यं कर्तव्यम् । न्यूनातिन्यूनं सा प्रार्थना तम् सात्विकभोजनं खादितुम् बाध्यं करिष्यति। यदि तस्य पुरतः मद्यं स्थाप्यते तर्हि रामः स्मर्तुं शक्यते वा ?
यदि त्वं पाकशालां शुद्धं कर्तुम् इच्छसि तर्हि अतीव गुप्तं वस्तु अस्ति। गृहे नियमं कुरुत। सर्वप्रथमं प्लेट् आगमनमात्रं गुरुभिः दत्तं मन्त्रं कुर्वन्तु। यदि मन्त्रो नास्ति तर्हि राम राम कृष्ण कृष्ण एकवारं वा सर्वाधिकसुलभं वा वदन्तु।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
जय श्री राधारमन लाल
महाप्रसाद की जय! इति वदन् भक्षणं आरभते। एषा प्रार्थना एव बहुवारं सुनिश्चितं करिष्यति यत् थालीयां किमपि भ्रष्टं न भवति। अत्र आरभ्यताम् । नाम निश्चितरूपेण प्रभावं करोति।
~परमाराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।।