श्री राधारमणो विजयते
परमात्मा हर रूप में प्रकट है। इस बात पर ध्यान दें वो जिस
रूप में प्रकट है उसकी उपासना भी उसी रूप में होती है। जब वो किसी विग्रह के रूप में प्रकट होता है तब उसकी पूजा उसकी सेवा है।
जब जल के रूप में वो प्रकट होता है तब रोली चन्दन माला ये पूजा नहीं है जल कि पवित्रता संरक्षण ये जल के रूप में प्रकट परमात्मा की पूजा है। राधाकुण्ड का साधु एक बिंदु जल बर्बाद नहीं करता। अगर पात्र में यत्किंचित प्रसाद भी छूट जाय तो साधु शासन नहीं करेगा पर अगर तुम्हारे ग्लास में जल छूट जाय तो शासन करेगा क्योंकि वहाँ जल के रूप में ही किशोरी की पूजा है। तुमने उसकी संगति नहीं बिठाई।
जब वो आपके घर में माँ पिता के रूप में बैठा है तो उसकी पूजा कैसे करोगे? उनकी सेवा ही परमात्मा की पूजा है। जब वो वृक्ष के रूप में प्रकट होता है तब वृक्ष का संरक्षण पोषण ही उस परमात्मा की पूजा है। पति पत्नी के रूप में प्रकट हुए परमात्मा कि पूजा संतुष्टि है।
बालक के रूप में जब वो परमात्मा प्रकट होता है तब अगर बालक में तुमने कृष्ण का दर्शन किया है और अगर उस बालक की पूजा करना चाहते हो उसके माथे पर तिलक लगाओ न लगाओ पर उसकी पूजा करना चाहते हो तो उसके चरित्र में संस्कार होने चाहिए। कृष्ण के रूप में आए बालक का तब पूजन होगा जब वो किसी संत के चरणों में झुकने के लिए संकोच नहीं करेगा। जब वो वृन्दावन की परिक्रमा करने के लिए उत्साहित रहेगा।
जब वो तुम्हारे घर कन्या के रूप में प्रकट होता है तो उसका सबसे बड़ा पूजन उसके जीवन का ये संस्कार पहली बात क्या तुमने उसकी आँखों में काजल लगाया न लगाया पर क्या उसकी आँखों में शील दिया? उसका सबसे बड़ा पूजन है जब वो एक दिन विदा होकर गृहणी के रूप में अवस्थित हो तो उस समय उसका चरित्र इतना श्रेष्ठ हो कि वो तुम्हारे खानदान और उसके खानदान को अमृत्व प्रदान कर दे।
एक माता की सबसे बड़ी पूजा है कि जब आपको देखकर उसके मुख पर मुस्कराहट हो आँखों में अश्रु न हो। पिता का सबसे बड़ा सम्मान है कि उसका आपके प्रति विश्वास हो। यही तो पूजा है परमात्मा की।
अगर माथे के तिलक के रूप में राधारमण जी प्रकट होते हैं अगर इस तिलक का राधारमण जी के रूप में पूजन करना हो तो तुम्हारे मस्तक पर नित्य प्रति इसको स्थापित करना ही इसका पूजन है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
The Almighty is present in each and every form. Please pay attention to the fact that He is worshipped in the form He is seen. If He appears in a particular form then His worship or pooja becomes the Sewa.
If He appears as Water then Roli, Chandan, Mala is not the right form of worship, to maintain the purity and cleanliness of the Water source is the worship of Water. The Sadhu of Shree Radha Kunda does not waste even a drop of water. If for any reason there is some leftover Prasad in your pattal, the Sadhu will not exercise any strictures but if some water is left in your glass or is being wasted, he will reprimand you because here Shree Kishoriju is worshipped in the form of water. You have not been able establish any connection!
If He is present in the form of your parents at home then how will you worship Him?
Their sewa is the worship of God! If He appears in the form of a tree, then the protection and nourishing the tree is the pooja of the Divine. The Divine appearing in the form of husband and wife, their satisfaction or fulfilment is the pooja of the Lord.
If the Divine appears as a baby and you have done the darshsan of Shree Krishna in the baby, if you want to worship the Lord then, applying the Tilak on the forehead is immaterial, try to imbibe noble qualities in the child. The worship of Shree Krishna in the form of the child will be done when he will not hesitate in bowing down at the feet of a Saint. Then, he will be excited to go and do the Parikrama of Shree Dham Vrindavan.
If the Divine appears as a little girl then the greatest poojan you can do is not applying kohl to her eyes but able implanting bashfulness in her? The greatest form of worship will be when she gets married and goes into another family as the wife then the purity of her character shall enlighten both the families or households!
The greatest worship of the mother is when on seeing you, she smiles with pride, her eyes don’t get teary! The greatest respect of the father is when he trusts you completely. This is the true worship of the Divine.
If Shree Radha Ramanji appears as the Tilak on your forehead then the truest worship will be to wear it daily with pride!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||