
हमें सबसे पहले ठाकुरजी को परिवार में शामिल करना चाहिए। हम सोचते हैं कि परिवार ठाकुरजी में शामिल हो तो कठिनाई होती है। परिवार जब ठाकुरजी में शामिल होता है तो कोई कह कहता है कि मैं नहीं हो सकता।
हमें ऐसा करना चाहिए कि हमको ठाकुरजी को पहले परिवार में शामिल करना चाहिए और ठाकुरजी को अगर परिवार में शामिल करना है तो उसके लिए सबसे पहले परिवार को ही श्रेष्ठ रखना पड़ेगा। कोई नया घर में सदस्य आवे घर का माहौल उस हिसाब से बनेगा, चला जाए उस हिसाब से बनेगा।
और एक बात, ठाकुरजी की विधिवत सेवा करो आपके घर में कभी कोई कमी नहीं पड़ेगी।
मैं एक बात कहता हूंँ, भगवान से गुजारे की बात करो और अगर आप गुजारे में ही संतुष्ट हो जाते हो तो तुम्हारे ऊपर वर्षा हो जाएगी। अगर गुजारे में खुश हो तो वर्षा हो जाएगी। कि ठाकुर जी गुजारा हो अपना उसी में अपना काम बन जाएगा।
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं की ब्रज में गुजारा करेंगे।
कहीं तो मिलेंगे वो रमणबिहारी, उन्हीं के चरण चित लगाया करेंगे॥
यही आनँद है जीवन का।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
At the very outset, we must include Shri ‘Thakurji’ as a part of our family. Generally, people think that if the family becomes a part of Shri ‘Thakurji’, it is problematic! When the family tries to become a part of Shri ‘Thakurji’ then someone might stand up and say that I don’t want to be a part of this inclusion!
What we should do is, first include Shri ‘Thakurji’ as a part of the family and in order to do that, first the family needs to be very distinguished. When a new member comes into the family then the members of the family adjust to accommodate the newcomer and if a member leaves, then the family adjusts over time!
One more thing, perform the ‘Sewa’ or service of Shri ‘Thakurji’ as it should be done properly and if it be so, I can assure you that you will never face any paucity or deficit in the family.
Let me add one more thing; if you talk to Lord about how to run the family and if you are satisfied only with material possessions then you will be showered with all the necessary comforts needed! If you are happy only with money then be sure, you will be showered with riches and if Shri ‘Thakurji’s’ Sewa is provided for, I am certain that it will be more than sufficient for leading a comfortable life!
‘Kanaihya Kanaihya pukaara karrengey, lattaon mein Braj ki guzara karrengey|
Kahin toh millengey woh Raman Bihari, unnhi kay Charan chit lagaaya karrengey||’
This is the true Ananda of Life!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
अस्माभिः प्रथमं ठाकुरजीं परिवारे समावेशितव्यम्। वयं मन्यामहे यत् यदि परिवारः ठाकुरजी सह सम्मिलितः भवति तर्हि कष्टं भवति। यदा परिवारः ठाकुरजी इत्यनेन सह सम्मिलितः भवति तदा कश्चन वदति यत् अहं तत्र न भवितुम् अर्हति इति।
अस्माभिः एतत् कर्तव्यं यत् प्रथमं ठाकुरजीं परिवारे समावेशयितव्यं यदि ठाकुरजीं परिवारे समावेशितव्यं तर्हि सर्वप्रथमं कुटुम्बं श्रेष्ठं स्थापयितव्यं भविष्यति। यदि नूतनः सदस्यः गृहे प्रविशति तर्हि तदनुसारं गृहस्य वातावरणं निर्मीयते, यदि सः निर्गच्छति तर्हि तदनुसारं निर्मितः भविष्यति।
अपि च एकं वस्तु, ठाकुरजीं सम्यक् सेवन्तु, भवतः गृहे कदापि अभावः न भविष्यति।
अहं एकं वदामि, ईश्वरेण सह जीवितस्य विषये वार्तालापं कुर्वन्तु तथा च यदि भवन्तः जीवितस्य विषये सन्तुष्टाः सन्ति तर्हि भवतः उपरि वर्षा भविष्यति। यदि जीवति सुखी भवति तर्हि वर्षा भविष्यति। सः ठाकुर जी जीवनं यापितवान्, तस्य कार्यं तस्मिन् एव भविष्यति।
कन्हैया कन्हैया पुकारा करेंगे, लताओं की ब्रज में गुजारा करेंगे।
कहीं तो मिलेंगे वो रमणबिहारी, उन्हीं के चरण चित लगाया करेंगे॥
इति जीवनस्य आनन्दः।
.. परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।
