Hindi —
जब किसी बाँध का एक द्वार खुला होता है तब जल बहुत ज्यादा चढ़ता है और बाँध टूटने की भी सम्भावना होती है। पर राधारमण जी सेवा महोत्सव क्या है रस की धारा में पड़े हुए बाँध में जितने द्वार थे सब पूर्ण रूप से खुले हुए हैं उन में से रस की धारा कल-कल कल्लोलवन्तिनी बह रही है।
आँखों से दर्शन की, कानों से श्रवण की, नासिका से सुगन्ध की, मुख से अधराऽमृत आस्वादन की, चरणारविंदों से प्रांगण की दिव्य परिधि के भ्रमण नृत्य की, हाथ से स्पर्श की। एक खुली होती तो समस्या होती बाँध में। धारा वंत नहीं होती।
पर राधारमण जी में सारे दरवाजे खुल जाते हैं। जब जल स्तर बढ़ता है तब द्वार खोलने ही पड़ते हैं नहीं तो बाँध टूट जाते हैं। राधारमण जी का महोत्सव ही इसीलिए है कि आप सबके अंदर जो भाव की धारा बह रही है उसका जलस्तर बढ़े। माया ने जितने दरवाजे बंद कर रखे हैं उसे खोलने पड़े नहीं तो उसका बाँध टूट जाएगा।
जिस दिन उसका बाँध टूट जाता है उसी दिन सहज वृन्दावन का वास अवस्थित होता है।
,।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन माध्व गोडेशवर वैष्णवआचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महराज ||
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For English —
||Shree Radharamanno Vijayatey||
When just one floodgate of the dam is open, the waterlevel rises very rapidly and the possibility of the dam bursting become very high. But what is Shree Radha Ramanji’s Sewa Mahotsava? Here, all the floodgates are open and the Prema Rasa dhara is gushing through.
The eyes do the darshsan, the ears listen, the nostrils smell the divine fragrance, the mouth absorbs the Charanamrit, the feet dance while doing the Parikrama in the temple courtyard and the hands touch and feel. If just one gate was open then it would have been difficult to save the dam. The flow would not have been regulated.
But, here at Shree Radha Ramanji, all the gates are opened. When the water level rises, the gates have to be opened lest the dam bursts. The Radha Ramanji’s Mahotsava is celebrated only with this objective that the level of the Bhava Rasa flowing in each one of you should rise. All the gates which have been shut by Maya should be opened or else the dam will burst.
The day this dam bursts, that very moment the devotee resides in Shree Dham Vrindavan without making any extra effort!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
For Sanskrit —
यदा जलबन्धस्य द्वारं उद्घाटितं भवति तदा जलं अतीव उच्चैः उत्तिष्ठति, जलबन्धस्य भङ्गस्य सम्भावना च भवति । परन्तु राधारमण जी सेवा महोत्सवः किम्, रसधारायां शयानः, जलबन्धस्य सर्वाणि द्वाराणि पूर्णतया उद्घाटितानि, तेभ्यः प्रतिदिनं रसधारा प्रवहति।
नेत्रेण द्रष्टुम्, कर्णेन श्रोतुं, नासिकायां गन्धं जिघ्रितुं, मुखेन अर्धमृतस्य स्वादनं कर्तुं, पादैः प्राङ्गणस्य दिव्यपरिधिं परितः नृत्यं कर्तुं, हस्तस्पर्शं कर्तुं च। यदि एकः उद्घाटितः आसीत् तर्हि जलबन्धस्य समस्या स्यात् । धारा न गच्छति।
परन्तु राधारमण जी मे सर्वाणि द्वाराणि उद्घाट्यन्ते। यदा जलस्तरः वर्धते तदा द्वाराणि उद्घाटितव्यानि अन्यथा जलबन्धाः भग्नाः भवन्ति । राधारमन जी इत्यस्य उत्सवः भवतां सर्वेषां अन्तः प्रवाहितानां भावानाम् स्तरं वर्धयितुं उद्दिष्टः अस्ति। माया यानि द्वाराणि पिहितानि सर्वाणि उद्घाटितव्यानि अन्यथा तस्याः जलबन्धः भग्नः भविष्यति।
यस्मिन् दिने तस्य जलबन्धः भग्नः भवति, तस्मिन् दिने सहजवृन्दावनस्य निवासः स्थापितः भवति।
..परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।।