
स्वप्न का विज्ञान बड़ा अद्भुत है। हमारे यहाँ पुराणों में अलग-अलग स्वप्न किस किस प्रकार का संकेत करते हैं इस पर बहुत बड़ा विज्ञान है। शगुन अपशगुन दोनों का संकलन बनता है।
कंस मारने वाला था तो उसे कैसे कैसे स्वप्न आए। स्वप्न कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में आपको संकेत करते हैं।
आपके मन के भीतर जो वासना है वो वासना स्वप्न को जन्म देती है। मन की तरंगे बहुत बड़ी है तो कभी न कभी बहुत बड़े अनुभवों को हम अपने स्वप्न में कर लेते हैं।
मैनें सपने में आज देखा है,
श्याम मुरली बजाते देखा है…
स्वप्न का अलग-अलग उसके शास्त्रों में फल निर्देश दिए गए हैं।
अगर किसी दिन आपके मन में कोई कार्य कोई उद्देश्य हो कि यह पूर्ण हो और बहुत दिन से आप उसके लिए पुरुषार्थ कर रहे हो और किसी दिन आपके सपने में आपके ईस्ट का दर्शन हो तो हमें समझना चाहिए हमारा वह कार्य अवश्य सफल हो जाएगा।
शास्त्रों में सपनों के बड़े अलग-अलग फलादेश हैं पर ऐसा नहीं कि वह निश्चित है। कंस को स्वप्न में दिखा कि वह गधा की सवारी कर रहा है। ऐसे स्वप्न दिखे तो बहुत बड़ी समस्या आने वाली है। पर परेशान नहीं हो जाना। कई बार किसी चीज का चिंतन हो जाए तो उसका सपने जरूर आता है।
किसी दिन सपने में अगर आपको दिवंगत हुए आपके माता-पिता का दर्शन हो जाए तो समझ लेगा आपके कार्य में आपकी बहुत बृद्धि होने वाली है और आशीर्वाद देने आए हैं और जो कोई कार्य महत्वपूर्ण कर रहे थे तो वह उससे प्रसन्न है।
अगर आपको स्वप्न में आपके मित्रों का दर्शन हो तो शास्त्र कहता है आप एक बहुत अच्छी प्लेजर ट्रिप करने वाले हैं। यह सब अलग-अलग विषय हैं।।
सिंह का दर्शन हो अगर स्वप्न में तो शत्रु की निवृत्ति होती है। शत्रु बाहर थोड़ी ना होते हैं, शत्रु भीतर होते हैं। यह काम, क्रोध, वासना से बड़ा शत्रु और क्या होगा? ये सिंह ये नरसिंह हृदय के सबसे बड़े शत्रु का विनाश करने वाले हैं।
अगर स्वप्न में गुरु का दर्शन हो जाए तो जीवन में बहुत बड़ी होने वाले अपयश से निवृत्ति होती है। यह शास्त्रों के फलादेश हैं। ऐसा नहीं है कि सदा ही हो। इस पर बहुत सारी चीजें निर्भर करते हैं। फिर भी अगर हम इस बात से खुश हो जाएं और हमारा भरोसा बढ़ जाए आज हमारे गुरु जी का दर्शन हुआ, यह खुशी ही सबसे पहले दोषों को निवृत्त करती हैं।
किसी ने पूछा- जब भगवत प्राप्ति होने वाली हो तो कौन सा स्वप्न आता है? भगवत प्राप्ति जैसी स्थिति बनती है तो सारा जगत स्वप्नमय हो जाता है। उसके लिए सोने की जरूरत नहीं पड़ती। आदि शंकर कहते हैं- जगन् मिथ्या।।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
स्वप्नविज्ञानं अद्भुतम् अस्ति। अस्माकं पुराणेषु भिन्नप्रकाराः स्वप्नाः किं किं सूचयन्ति इति विषये महत् विज्ञानं वर्तते। शगुन् बदशगुन् उभयोः संयोगः ।
कंसः वधं कर्तुं प्रवृत्तः आसीत्, अतः तस्य कीदृशाः स्वप्नाः आसन्। स्वप्नाः भवन्तं क्वचित् केनचित्रूपेण वा सूचयन्ति।
यः कामः तव मनसः अन्तः अस्ति, सः कामः स्वप्नान् जनयति। मनसः तरङ्गाः अतीव विशालाः सन्ति, अतः कदाचित् वयं स्वप्नेषु अतीव बृहत् अनुभवान् कुर्मः।
अद्य मया स्वप्ने दृष्टः,
श्यामस्य मुरली…
स्वप्नस्य शास्त्रेषु भिन्नाः निर्देशाः प्रदत्ताः सन्ति ।
यदि कदाचित् भवतः मनसि किमपि प्रयोजनं भवति यत् तत् सम्पन्नं भवेत् तथा च भवन्तः तदर्थं चिरकालात् प्रयतन्ते तथा च कदाचित् भवन्तः स्वप्नेषु स्वपूर्वं पश्यन्ति तर्हि अस्माभिः अवगन्तव्यं यत् अस्माकं कार्यं अवश्यमेव सफलं भविष्यति |.
शास्त्रेषु स्वप्नानां भिन्नाः पूर्वानुमानाः सन्ति, किन्तु तत् निश्चितमिति न भवति । कंसः स्वप्ने दृष्टवान् यत् सः खरमारुहः अस्ति। यदि भवन्तः एतादृशान् स्वप्नान् पश्यन्ति तर्हि महती समस्या आगमिष्यति। परन्तु दुःखं मा कुरुत। बहुवारं यदा किमपि चिन्तितं भवति तदा तस्य स्वप्नाः अवश्यमेव आगच्छन्ति।
कदाचित् यदि भवन्तः स्वप्ने भवतः मातापितरौ स्वर्गं गतवन्तौ पश्यन्ति तर्हि भवन्तः अवगमिष्यन्ति यत् भवतः कार्ये बहु वृद्धिः भविष्यति तथा च भवतः आशीर्वादं दातुं आगतः अस्ति तथा च भवतः यत्किमपि महत्त्वपूर्णं कार्यं भवति स्म तत् सः तया प्रसन्नः अस्ति।
यदि स्वप्ने मित्राणि पश्यसि तर्हि शास्त्राणि वदन्ति यत् भवतः अतीव सुन्दरं भोगयात्रा भविष्यति। एते सर्वे भिन्नाः विषयाः सन्ति।
यदि स्वप्ने सिंहः दृश्यते तर्हि शत्रुः निवृत्तः भवति । शत्रवः बहिः न सन्ति, शत्रवः अन्तः सन्ति। कामक्रोधकामात् किं बृहत्तरः शत्रुः भवेत् । अयं सिंहः, अयं नरसिंहः हृदयस्य बृहत्तमं शत्रुं नाशयितुं गच्छति।
यदि स्वप्ने गुरुः दृश्यते तर्हि जीवने महती असफलतायाः निवृत्तिः भवति। इति शास्त्रस्य परिणामः । न तु सर्वदा भवति इति। अनेकानि वस्तूनि अस्मिन् आश्रित्य। तदापि यदि वयं सुखिनः भवेम अस्माकं विश्वासः वर्धते तर्हि अद्य अस्माकं गुरुजी इत्यस्य दर्शनं जातम्, एतत् सुखं प्रथमं दोषान् दूरीकर्तुं भवति।
कश्चित् पृष्टवान् – यदा ईश्वरः प्राप्तुं प्रवृत्तः भवति तदा कः स्वप्नः आगच्छति ? यदा ईश्वरसाक्षात्कारादिस्थितिः सृज्यते तदा सर्वं जगत् स्वप्नवत् भवति। तदर्थं निद्रायाः आवश्यकता नास्ति। आदि शंकर कहते – जगन मिथ्या।
॥ परमराध्य: पूज्य: श्रीसद्गुरु भगवान जू॥
||Shree Radhavallabho Vijayatey||
The science or the art of deciphering the dreams is amazing! In our Puranas, we get the indication of significance of different types of dreams. It has both good as well bad indications!
When Kansa was about to die, he saw very strange and fearsome dreams. The dreams give us some indication!
Whatever be the desire in the mind, gets reflected in the dream. If the thought waves are very strong then some time or the other, you go through that experience in the dream.
‘Mainey sapney mein aaj dekha hai,
Shyam Murali bajaatey dekha hai ….’
The scriptures give us different interpretations of the dreams!
Suppose, you have some objective or raison d’etre in your mind that it should get fulfilled since a long time and you have been trying very hard to accomplish it for a while, if all of a sudden you have the darshan of your chosen ideal or deity (Ishtha) then be rest assured that your efforts will fructify soon!
The scriptures give very detailed interpretations of the dreams but it is not a certainty that it will be so, it is merely an indication! Kansa dreamt that he is astride a donkey. Now, this is a bad omen. But, please don’t get unduly perturbed. Many a times, if you are thinking about something continuously then you will get some indication in your dream.
If you see your deceased parents in the dream then be rest assured that they had come to bless you and you will see growth and progress in life and whatever you are doing, they are happy about it!
If you see your friends in the dream then the scriptural indication is that you will very soon go on a pleasure trip! These are all different interpretations and it is a different subject altogether.
If you see a lion in your dream then it indicates that your enemies will be defeated. Enemies are not only outside but they reside within. Like, Kama, anger, lust, who can be a bigger enemy in comparison to them? This lion or ‘Narasingha’ is the slayer of the worst enemy who resides within!
If you have the Darshan of your Guru in the dream then you will be protected from disgrace. This is what the scriptures indicate! It should not be interpreted that it will be so only! Lot of things or factors come into play here. Still, if you are delighted to have the Darshan of your Guru then this joy itself will eradicate so many ills afflicting you!
Someone asked that if I am going to realize God then, what sort of a dream comes? When you are moving towards God realization then the entire universe will seem to be dream! You will not need to sleep to see this dream! ‘Adi-Shankar’ declares; ‘Jagat mitthya’!
||Param Aaradhya Poojya Shree Sadguru Bhagwanju||
