Hindi–
जहाँ भी जैसी भी कथा मिले श्रीकिशोरी जी की कृपा ही है। श्रीकिशोरी जु इस दैहिक बंधन में बँधे शरीर में रह रहे जीव को श्रीराधारमण प्रांगण में बैठने के सौभाग्य से अधिक और क्या विशेष देख सकती हैं। इससे बड़ा और क्या प्रदान कर सकती है ये सबसे अनमोल मणि है जब तक जीव इस दैहिक बंधन में आबद्ध है।
दुनिया में और जो वस्तु हैं वो कृपा से मिलती है मानना चाहिए। दुनिया में उपस्थित होने वाली कई चीजे जीव अपने भाग्य और पूर्वजनक संस्कार के द्वारा प्राप्त कर लेता है पर एक चीज निःसंदेह ऐसी है जो श्रीकिशोरी जी की कृपा के बिना सम्भव ही नहीं है वो है किसी महद् पुरुष का दर्शन।
कहीं चलते चलते भी सामने से मुख से कृष्ण नाम निसृत करने वाला, श्रीकिशोरी जी का नाम कहने वाला, श्रीवृन्दावन कि रज को अपने मस्तक पर सुशोभित करने वाला टकरा जाय ये किशोरी जी की परम कृपा का ही स्वरूप है।
पर श्रीकिशोरी जु की कृपा का सबसे उच्चतम स्तर क्या है ?
कहीं भी चलते फिरते अपात्रता होते हुए भी किसी महद् पुरुष का दर्शन हो जाय शायद ये सबसे सहज कृपा का स्वरूप है पर जब श्रीकिशोरी जी किसी पर बहुत ज्यादा रीझ जाती हैं तब वृन्दावन की किसी कुँज में कथा का सौभाग्य दे देती हैं। क्योंकि यहाँ तुम कृष्ण को पाने के लिए कथा नहीं सुनते कृष्ण के साथ बैठकर कथा सुनते हो।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन माध्व गोडेशवर वैष्णवआचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महराज ||
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For English —
||Shree Radharamanno Vijayatey||
Whenever you get the chance to hear the Katha, it is only with the sheer grace of Shree Kishoriju. The Jeeva, who is wordly attached to this physical body, by her Divine grace she provides the blessed opportunity to sit in the precincts of Shree Radha Raman temple. What more will she give? For this materially bound Jeeva, it is the priceless jewel or Mani!
All that one gets in life is only by grace. People get somethings by their fate or destiny, but most certainly, one gets the Darshan of a Divine Personality only by the unconditional grace of Shree Kishoriju.
While walking on the street, even by chance you brush or touch or even see a person who is repeats Shree Krishna Naam or who anoints the forehead with the Braja Rujja, it is the benevolence of Shree Kishoriju!
What is the highest level of Shree Kishoriju’s benevolence?
When you are blessed with the Darshsan of a Divine Personality just like that then this is the sign of her sheer unconditional benevolence and when she is too charmed by someone and wants to bless the person with her choicest of blessings then she gives the opportunity of hearing the Katha in any Kunj of Shree Dham Vrindavan. Because, here you are not listening to attain Shree Krishna, instead he too is seated beside you and listening!
O||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
For Sanskrit —
यत्र यत्र कस्यापि कथां प्राप्नुमः, तत्र श्री किशोरी जी इत्यस्य कृपा एव। श्रीराधारमणस्य प्राङ्गणे उपविष्टस्य सौभाग्यात् किं विशेषं भवितुमर्हति यत् श्री किशोरीजू शारीरिकबन्धनबद्धम् अस्मिन् शरीरे जीवं द्रष्टुं शक्नोति। एतस्मात् महत्तरं रत्नं यावत् जीवः अस्मिन् भौतिकबन्धे बद्धः तिष्ठति तावत् महत्तमं रत्नम् ।
यानि अन्ये लोके सन्ति तानि प्रसादेन उपलभ्यन्ते इति विश्वासः । जगति वर्तमानाः बहूनि वस्तूनि जीवेन स्वस्य दैवस्य पितृसंस्कारस्य च माध्यमेन साध्यं भवति, परन्तु एकं वस्तु अस्ति यत् श्री किशोरीजी इत्यस्य प्रसादेन विना न संशयः सम्भवति तत् च महापुरुषस्य दर्शनम्।
कुत्रचित् गच्छन् अपि यदि कश्चित् मुखात् कृष्णनाम उच्चारयति, श्री किशोरी जी इत्यस्य नाम वदति, यः श्री वृन्दावनस्य सिंहासनं शिरसि शोभयति, तर्हि एतत् किशोरीजी इत्यस्य परमप्रसादस्य रूपम् अस्ति।
परन्तु श्री किशोरी जू अनुग्रहस्य उच्चतमः स्तरः कः ?
कुत्रापि गच्छन् अयोग्यत्वेऽपि महापुरुषं द्रष्टुं शक्यते, सम्भवतः एतत् प्रसादस्य स्वाभाविकतमं रूपं, परन्तु श्री किशोरी जी यदा कस्यचित् प्रति अतीव क्रुद्धा भवति तदा सा कस्मिन्चित् वने कथां कथयितुं सौभाग्यं ददाति वृन्दावन। यतः अत्र कृष्णं प्राप्तुं कथां न शृणोषि, कृष्णेन सह उपविश्य कथां शृणोषि।
..परमराध्या: पूज्या: श्रीमन्ता: माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्या: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराजा:।
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