अगर आप ठाकुरजी का प्रसादी पाना चाहते हैं तो ठाकुरजी को रिझाने वाला कृत्य कीजिए।
लोग मंदिर में जाकर कोई भेंट डालकर कहता है, अरे पंडितजी! हमने पैसा दिया है, कई-कई कहते हैं- हमको माला पहना दीजिए। ना ना… कबीर की कहावत है-
बिन मांगे मोती मिले और मांगे मिले ना भीख।।
मैं निवेदन करूँ, अगर आप का भाव सच में शुद्ध है आप ठाकुरजी का दर्शन करने जाएं और विशुद्ध भाव से ठाकुरजी का दर्शन कीजिए, खूब हृदय से प्रार्थना कीजिए, जय जय कार कीजिए, ठाकुरजी का नाम लीजिए। एक नहीं दो नहीं सौ बार मैंने अनुभव किया है कोई न कोई ऐसी बात अपने आप हो जाएगी कि गोस्वामीजी अपने आप इशारा करके, बुलाकर माला भी डाल देंगे और प्रसादी भी दे देंगे।
मांगने से मिले उसमें सुख कम है, अचानक अपने आप किसी वस्तु की प्राप्ति हो जाए तो उसमें प्रत्यक्ष श्रीराधारमणजी की प्रसन्नता का अनुभव हो जाएगा।
हमें यह सेवा मिल गई, परम सौभाग्य मानना चाहिए जो यह सेवा मिल गई। परम सौभाग्य मानना चाहिए कोई प्रसादी मिल जाए।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
If you are desirous of receiving Shree ‘Thakurji’s’ Prasad then behave or act in a manner that pleases Him!
People go to the temple and after offering something say, ‘Paditji! I have put some money in the Hundi, kindly give me Mala in return’! No! No! No … Kabir says;
Bin maangey moti miley aur maangey miley na bheek||
I would like to submit with utmost humility that if you are going for the Darshan with a pure heart then please do the Darshan of Shree ‘Thakurji’ with devotion and sanctity, pray from the core of your heart, do the ‘Jai-Jaikaar’ repeating His Divine name! Not once or twice, many a times I have experienced that something miraculous will happen and the Goswami will call you on his own and give you the Mala and Prasad!
If you ask for something and then get it, it is not so pleasing in comparison to something that happens just out of the blue or if I may say that you just thought and it is there right in your hand, at this moment you will experience the grace of Shree ‘Radharamannji’ in reality!
You have got the opportunity to do this Sewa, consider it to be you’re your good fortune! If you get the Prasad without asking, you are indeed truly blessed!
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
|श्री राधारमणो विजयते||
यदि श्री ‘ठाकुरजी’ प्रसादं प्राप्तं इच्छन्तु तर्हि प्रेमपूर्वकं व्यवहार कुर्वन्तु अपितु कार्यम् कुर्वन्तु!
जनाः मन्दिरं गत्वा किमपि अर्पणं कृत्वा वदन्ति, ‘पदितजी! मया हुण्डीयां किञ्चित् धनं स्थापितं, प्रतिदानरूपेण मम माला ददातु’! नहि! नहि! न … कबीरः वदति;
बिन माँगे मोति मिले और माँगे मिले न भीक||
अहं परम विनयेन प्रस्तौतुम् इच्छामि यत् यदि शुद्धहृदयेन दर्शनार्थं गच्छसि तर्हि श्री ‘ठाकुरजी’ इत्यस्य दर्शनं भक्ति-पवित्रतापूर्वकं कुरुत, हृदय-कोरतः प्रार्थनां कुर्वन्तु, ‘जय-जयकार’ं कुर्वन्तु। तस्य दिव्यनाम पुनः पुनः ! न एकवारं द्विवारं वा बहुवारं मया अनुभवितं यत् किमपि चमत्कारिकं भविष्यति तथा च गोस्वामी भवन्तं स्वयमेव आहूय माला प्रसादं च दास्यति!
यदि भवन्तः किमपि याचन्ते ततः प्राप्नुवन्ति तर्हि नीलवर्णात् एव घटमानस्य किमपि वस्तुनः तुलने तत् तावत् सुखदं नास्ति अथवा यदि अहं वदामि यत् भवन्तः केवलं चिन्तितवन्तः तथा च तत् भवतः हस्ते एव अस्ति, तर्हि अस्मिन् क्षणे भवन्तः अनुभविष्यन्ति श्री ‘राधारमन्जी’ की कृपा यथार्थतः!
भवतः एतत् सेवां कर्तुं अवसरः प्राप्तः, भवतः सौभाग्यं इति मन्यताम्! यदि त्वं प्रसादं अपृच्छसि तर्हि त्वं खलु धन्यः असि!
||परम आराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुंडरीक गोस्वामीजी महाराज||