गोपी का शृंगार करना है तो मेकअप बिगाड़ा जाता है- व्यत्यस्तवस्त्राभरणाः॥
तुम क्या समझे, बड़े भारी लहंगा, घाघरा-चोली पहन के गोपी बन गए? जो रास में आई थी वो ऊपर का कपड़ा नीचे पहन ली थी, नीचे का कपड़ा ऊपर। पायल की हार पहन ली और हार की पायल पहन लिए और याने बिछुआ की अंगूठी पहन ली और अंगूठी का बिछुआ पहन लिए और इन्होंने काजल को तो होंठन पर लगा लिया और लालिमा को आंखों में लगा लिया, महावर का सिंदूर लगा लिया और सिंदूर की महावर लगा ली।
ऐसी कोई बन के दिखाए गोपी। घर वाले निकाल देंगे। बोलेंगे अस्पताल में भर्ती करो, पागल हो गई है। समाज में कोई बैठने नहीं देगा, कौन आ गया भगाओ इसको। यहाँ तक कि मंदिर में भी कोई घुसने नहीं देगा, बैठने देगा कि पुलिस बुलाओ, बावरी हो गई है ले जाओ इसको। क्या स्थिति है।।
गोपी तो कर रही थी शृंगार पर बंसी की धुन सुनी तो बिगाड़ और दिया। इसलिए यह अप्राकृतिक गुण है। यह श्रृंगार को बिगड़ना ही अप्राकृतिक गुण है। ये स्त्री का प्राकृतिक गुण नहीं है। स्त्री का प्राकृतिक गुण यह है कि अगर उसको 10 सेकंड का भी समय मिले तो वह पहले श्रृंगार करके भगेगी।
यहाँ तक तो वैराग्य पहुँचा सकता है कि श्रृंगार से मुक्त कर दे पर ये तो अनुरागी ही कर सकता है- व्यत्यस्तवस्त्राभरणाः॥ प्रेम के बिना व्यत्यस्तवस्त्राभरणाः कैसे होगा?
वैराग्य तो ये कर देगा कि हम यह नहीं लगाएंगे, यह नहीं खाएंगे, सीधा पहनेंगे, सीधा चलेंगे। यहाँ तक तो पहुँच सकते हो पर यह तो अनुराग की चरम सीमा है जब काजल होंठ की लालिमा बन जाए और होंठ की लालिमा आँखों का काजल बन जाए।
इसको कितना सस्ता कर दिया, कितना ओछा कर दिया?
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
||Shree Radharamanno Vijayatey||
When the Gopi does Shringar’ her external make-up is disturbed; ‘Vyatyastavastraabharannamah:’||
What did you think that she will wear a very heavy ‘Lehnga’ or a ‘Ghagra-Choli’ and become a Gopi? The ones who had been invited to the Raas, were wearing the external garments inside and the inner garments outside! She wore her ‘Paayal’ as the necklace and her necklace as her ‘Paayal’. She wore her ring on her toes and toe-rings as the rings! She used kohl on her lips and the lipstick as the eyeliner! She used the ‘Alta’ as the Sindhoor and the Sindhoor on her palms and feet!
Can anybody dress up like this Gopi? The family members will throw her out! They will say that she has got dement, admit her to a mental hospital. No will allow her to sit amongst the society, they will shoo her away from a distance! Even the temples will not give her entry and if for any reason she is allowed in, they will first inform the police that a mad woman has come, please come and take her away!
The Gopi was doing her make-up, but the moment she heard the divine flute of the Lord, she lost herself! That is why, this is an unnatural quality or Guna! This whimsical makeup in itself is a very unnatural trait! This is not at all natural with women! The natural tendency of the woman is that even if she has ten seconds, she will first try to do some makeup and then step out.
Only Vairagya has this quality that it totally frees you from all forms of makeup and it can only be done by an Anuragi! Without Divine love, how can ‘Vyatyastavastraabharnnamah:’ happen?
Vairagya will do this that I will not use or apply this, I won’t eat this, will dress simply and lead a humble lifestyle! One can reach up to this point but this is the higher most point of Anurag when the kohl becomes the lipstick and the lipstick becomes the kohl!
People have made all this so cheap and shallow?
||Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj||
यदि गोपी अलङ्कारणीया तर्हि मेकअपः दूषितः भवति – व्यात्स्वस्त्रभारः।
किं मन्यसे, सः गुरुः लहेङ्गा, घग्रा-चोली धारयित्वा गोपी अभवत्? रासम् आगता तस्याः ऊर्ध्ववस्त्रं अधः धारयति स्म, तस्याः अधः वस्त्रं च उपरि धारयति स्म । नूपुरहारं च धारयन्ति स्म, बिछुया निर्मितं वलयं धारयन्ति स्म, वलयस्य बिछुं धारयन्ति स्म, अधरे काजलं, नेत्रयोः रक्ततां च प्रयोजयन्ति स्म, महावरस्य सिन्दूरं, महावरस्य सिन्दूरं च प्रयोजयन्ति स्म। प्रयोजितवान् ।
गोपी एवं दर्शयेत्। परिवारस्य सदस्याः भवन्तं दूरं करिष्यन्ति। वक्ष्यति चिकित्सालये प्रवेशं प्राप्नुत, सा उन्मत्ता अभवत्। न कश्चित् भवन्तं समाजे उपविष्टुं अनुमन्यते, यः आगतः, तं निष्कासयति। मन्दिरे अपि कोऽपि प्रवेशः न भविष्यति, उपविष्टाः भविष्यन्ति, पुलिसं आहूय, ते उन्मत्ताः अभवन्, तान् हरन्तु। का स्थितिः..
गोपी मेकअपं कुर्वती आसीत् किन्तु वेणुनादं श्रुत्वा सा तत् दूषयित्वा दत्तवती। अतः अप्राकृतिकगुणः । अस्य मेकअपस्य दूषणं अस्वाभाविकः गुणः अस्ति। एषः स्त्रियाः स्वाभाविकः गुणः नास्ति । स्त्रियाः स्वाभाविकः गुणः अस्ति यत् यदि सा १० सेकेण्ड् अपि समयं प्राप्नोति तर्हि प्रथमं मेकअपं कृत्वा पलायनं करिष्यति ।
वैराग्यः तावत्पर्यन्तं प्राप्तुं शक्नोति यत् सः अलङ्कारात् मुक्तं करोति, परन्तु प्रेम्णा एव एतत् कर्तुं शक्नोति – व्यात्स्वस्त्रभारः। प्रेम विना कथं जीविष्यति ?
अरुचिः अस्मान् एतत् न धारयिष्यति, न एतत् खादिष्यामः, ऋजुं धारयिष्यामः, ऋजुं गच्छामः। एतावत्पर्यन्तं गन्तुं शक्नुथ किन्तु एषा प्रेमस्य अत्यन्तसीमा यदा काजलः अधरस्य रक्तता भवति, अधरस्य रक्तता च नेत्रयोः काजलः भवति।
कियत् सस्तेन कृतं, कियत् न्यूनं कृतम्?
..परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।